सुन्दर ग्रंथावली | Sundar Granthawali

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सुन्दरदास जी -Sundardas Ji

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हरिनारायण शर्मा - Harinarayan Sharma

पुरोहित हरिनारायण शर्मा राजस्थान के जयपुर में पैदा हुए लेखक थे।

वह एक गरीब परिवार से थे और बचपन से ही साहित्य में उनकी रुचि थी।

बाद में उन्होंने किताबें एकत्र करना शुरू किया और कई किताबें लिखीं।

पुरोहित जी कई भाषाओं को जानते थे (लगभग 15)

इसलिए उन्होंने अपनी सभी 15 भाषाओं में अपनी किताबें लिखीं, जिन्हें वे जानते थे।

बाद में वे इतने प्रसिद्ध लेखक थे कि उन्हें एक बार जयपुर (आमेर) के राजा सवाई मानसिंह प्रथम के दरबार में आमंत्रित किया गया था।

वहाँ पर उन्होंने अपने हाथ से लिखी 2 किताबें जयपुर के राजा को दे दीं और आवंटित कुर्सी पर बैठ गए।

कुछ समय बाद राजा ने उसे अपने दरबार में नाज़िम (दौसा का) पद प्र

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नथस खरड ' नाम (१) भूमिका .'.. क (९) भूमिका के परिशिष्टः-- . ' .( के ) छोको क्ति कद्दावत भादि . ( ख ) सिद्धान्त सूची (ग) से छन्दों की संख्या विभागवार ( घ) सवेया छन्द का संक्षिप्त विवरण (ड) संक्षिप्त राग ताठिका ( च ) सुन्दरदासजी का हिन्दी साहित्य में स्थान ( छ ) सद्दायक श्रन्थावली सूची ( ज ) कृतज्ञता प्रकाशन ( क ) भन्तिम निवेदन ( ३ ) जीवन-चरित्र ( ४) जीवन-चरित्र के परिशिष्ट:-- ..( क ) सुन्दरदासजी का अन्य दिद्वानों द्वारा वणन ( ख ) स्वामी ख्याठीरामजी द्वारा ज्ञात बातें ( ग) चित्र परिचिय--- (घ ) सुन्द्रदासजी के स्थान पर आपत्ति ( ४ ) ज्ञानसमुद्र ३१४... छंद संख्या ( दू ) लवुप्रन्थावढो ( ३७ अ्न्थ ) १९१६ ही १४६ _ ऐदछ १७१ १८३ २ द्छ




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