एब लिंकन | Eb Linkan

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Eb Linkan by राबर्ट ई. शेरवुड - Rabart E. Shervudविष्णु प्रभाकर - Vishnu Prabhakar

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राबर्ट ई. शेरवुड - Rabart E. Shervud

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विष्णु प्रभाकर - Vishnu Prabhakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ १६ ) . * एन --अच्छा मिस्टर कॉगडाल । ( वह जाती है । ! दम मेज के पास बेठता है । ) टूंम --हां मिस्टर एडवडेस । हमारे इस महान नगर ं के बारे मे आपकी क्या राय है ? निनिनन --बहुत अच्छा है मिस्टर कॉगडाल । पहाड़ की चोटी पर यह बहुत सुन्दर स्थान पर बसा हुगा है । ट्म --हम लोग पद्चिम की ओर बढ रहे हैं । और जब हम अपने मे से कुछ बुरे तत्वों को निकाल बाहर करेंगे तो और भी बढेंगे । जी हां, हम और भागे बढेंगे । निनियन --निश्चय ही, मुझे विश्वास है । (एन शराब गौर चाय लेकर लौट आती है ।) बोलिंग --धघन्यवाद एन । एन --क्या डाक आ गई ? ट्रम --नही, मैं उसी की राह देख रहा हूँ । बोलिंग --तुम्हे तो कोई पत्र पाने की आशा नहीं है एन ? क्यो, है क्या ” एन --नही, मुझे कौन पत्र लिखेंगा । बोलिग --आज ४ जुलाई को कौन कह सकता है कि क्या नहोजाए। (एन हँसती हुई रसोईघर मे चली जाती है ।) निनियन --यह बहुत सुन्दर लडकी है । आश्चर्य है अभी तक किसी ने इसके साथ विवाह का प्रस्ताव नहीं किया ।




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