मास्टर साहब | Mastar Sahab
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
273
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मास्टर साहब
झकरे हम मुरारोलाल को जामुन का पेड़ मान लें,
झौर हेतराम को झाम का, तो इस शाम के पेड़ के
चिषय में पक खास बात कहनी पड़ेगी । यह श्राम का
पेड़ जामुन के चारों तरफ़ बल खाता डुझा घढ़ा था, छोर
प्रति ने जामुन के पेड़ से उसे खूब गुथा दिया था ।
इस गुत्थी या लिपटन ने झाम के पेड़ को कमज़ोर बना
दिया था झोर ज़द ज़ोर की हा चलते-दी यह इघर-उ घर
डगमगा जाता था । पर जामुन का पेड़ इतना दृढ़ झौर
झचिचलित था, झौर शाम के पेड़ की यदद छप्राछृतिक
गुत्थी इतनी मज़बूत थी, कि रोज़-रोज़ हलके-से-इलके
और भारी-से-भारी भोौके खाकर भी ये दोनो पेड इसी
भाँति गुथे खड़े रहे । पाठकगण इस छोटे-से झालड्वार में
मुरारीलाल शोर हेतराम के स्वभावों को सममने की
चेछा करे ।
मुसारीलाल थे बेश्य, शोर हेतराम ब्राह्मण । पर इस
भेद ने उनका स्नेह पतला न होने दिया । दोनो ने घोर
कद सह कर भी इराट्रन्स पास किया--और पक साथ-ही |
कॉलिज की दुधार श्ञान-गी खरीदने के 'लिये उनके पास
काफ़ी दाम न थे, झतः उन्होंने ट्य,शनों से गुज़ारा
चताते हुए नौकरी की खोज शुरू की । पर जब संयोग-
श्र
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