डाक्टर सर जगदीशचन्द्र बसु और उनके आविष्कार | Do Jagadhish Chandra-basu Aur Unake Aavishkar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Do Jagadhish Chandra-basu Aur Unake Aavishkar  by सुखसम्पत्तिराय भंडारी - Sukhasampattiray Bhandari

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सुखसम्पत्तिराय भंडारी - Sukhasampattiray Bhandari

Add Infomation AboutSukhasampattiray Bhandari

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(७) बाबू भगवानदास फरीदूपुर जिले के सब-डिव्हीजनल अफसर थे ॥ आपने इस जिले के कई डाकुओं को गिरफ्तार किया था. एक समय आपने इन डाकूओं के प्रधान नेता को गिरफ्तार किया । इस डाकू को कई वर्ष की सजा हुई । जब यह डाकू जे से छूटा तब वह बाबू भगवानदासके पास आया, और अपने उद्रनिर्वाह के अर्थ कोई काम बताने के ठिए उनसे प्राथना की । बाबू भगवानदासने उसे अपने पुत्र जगदीश की देखभाल के लिए उसे नौकर रखलिया । इस डाकूके विषयमें खुद डॉ० बसु लिखते हैं-- “ मेरे पिताने केवल मेरे लिए उसे नौकर रखलिया । मेरी उम्र इस वक्त चार वर्ष की थी । वह अपने कन्घेपर बिठठाकर मुझे देहाती पाठशालामें ठलेजाया करता था । कोई भी धाय ढाकुओं के इस भूतपूर्व नेतासे बढ़कर, जिसका कामही एक वक्त ख़न करना और छोगोंको हानि पहुंचाना, रहा है, अधिक सौम्य नहीं हो सकती । इस वक्त उसने शझान्तिमय जीवन धारण कर लिया था; पर वह अपनी पुरानी बातोंको भुला न था ।इस डाकूने डकेतियों में जो जो पराक्रम किये जिन जिन बड़ाइयों में हिस्सा लिया, उसके कई साथी जुझते ज़ुझते जिस प्रकार मरें या मरते मरते बचे, इन सब बातें को वह मुझे सुनाया करता था । ययपि इस डाक्ूराजके मन में देश के आइन के प्रति कुछ भी आदर भाव नहीं था, पर उसने कभी किसी के साथ विश्वासघात नहीं किया । उसनें अपने प्रति औरोंके विश्वास को पूरी तरह कायम रक्खा उसके इस गुणका परिचय कई दफा मिला । ” केम्ब्रिजमें अध्ययन । हम ऊपर लिख चुके हैं कि डेक्टिर बसुकी प्राराम्मिक शिक्षा ग्रामीण पाठशालामें हई थी । इसके बाद उच्च शिक्षा आपने कठकत्तेमें न




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now