श्रीजीवनु शासनम | Shrijivanusasnam Ac.1768
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ड् पद है
कण्ठ्या ।
इयाएणि संकियत्ति दार । निस्सकियगाहा-
निस्संकियं च कादिड उभय जे संकियं च सुजहरेहिं ॥ ( दौरे )
पत्तदारमिरयाणि
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प्भावणादार्मियाणि
जाइ-कुल-सव-घण बलसंपना इटटिपंत निस्संका
जयणाजना य जड़े संपन्न तित्थ परभाविति !'
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पावचनी धमकी चाटी नेमिलिकम्तपस्वी च ।
जिनवचनसरतथ् कवि! प्रवचनमुद्धावयन्त्यत 1!
जो जण गृणण रदि आओ जण विणा वा ने सिज्झण जंते |
सो तण घम्पकज्त सन्वन्थामं ने होवेट ॥ ( दरें )
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साहम्पियागयाण खमसिवाण ने लब्मट पर्वित्त
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कल्माइण कन्नाट साहिस्प॑ स्िगिगों य सासिस्में |
जें लोगविरुद्धार कर्गिति लोगुनराईं च
समा दारगाथा |
अत्र संब्िद्रारणद प्रयं'जने तदथव्यार्यानायाह
तत्थ य पढमसं ठवणं पद़स णसपं गति समघविऊ |
पुच्ब॑ं पडट्टियाएं रदहेमि अणयाण अहिगारा ॥१३॥
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