छोटा प्रदेश ः पुनर्जन्म | Chota Pradesh Punarjanm

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Chota Pradesh Punarjanm by Layonid Ilicha Breknev लियोनिद इलीचा ब्रेकनेव

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मे ही खतरनाक था, और उसी तरह सामान उतारना, हिफ़ाजत को जगहों पर पहुँचना और पहाडी पर चढना भी । लेकिन जद भी मैं मालाया जेम्लिया लौटता एक खास विचार मेरे ऊपर हावी होता जाता--यह कि हमारे सैनिक यहाँ पहली बार किस तरह उतरे थे, जव जर्मन मशीनगनें ठीक वही तैनात थीं जहाँ वर्तमान जीवनरक्षक स्थल वने हुए थे और हिटलरी दारिदे सब-मशीनगनों और हथगोलों से लैस होकर, हमारी तट पर उतरती सेना की नजरों से ओभल इन्हीं संचार क़ायम करने वाली खाइयों में दौड लगा रहे थे । हर कोई जिसने एक क्षण के लिए भी यह सोचा कि पहले यहाँ उतरने वाली सेना के लिए सब कुछ कितना कठिन था, वह अपने-आपको शायद कहीं मधिक ताकतवर महसूस करने लगा । कुछ भी हो, हमने मालाया जेम्लिया पर अपना क़ब्ज्ञा उतने दिनों तक जमाये रखा जितना कि सोवियत कमान की योजना के अनुसार जुरूरी था, अर्थात 255 दिनों तक । हमने ये दिन किस तरह बित्ताये, यही मैं आपसे बताना चाहता हूँ । एप हमे युद्ध की जरूरत नहीं थी। लेकिन जव यह शुरू ही हो गया तो महान सोवियत जनता आक्रमण के विरुद्ध लोहा लेने के लिए उठ खड़ी हुई । मुझे याद है. कि 1940 में दूनीप्रोपेत्रोव््क की क्षेत्रीय पार्टी समिति ने एक वार प्रवक्‍्ताओं (लेक्चरसं ) का एक सम्मेलन बुलाया । उन दिनों मैं सेना संबंधी व देशभक्तिपूर्ण प्रचार-कार्य में खास ध्यान देता था, और हम वहाँ इसी के वारे में वात कर रहे थे । हमने जमंनी के साथ एक अनाक्रमण संघि संपत्न की थी । अखबारों में मोलोतोव और हिटलर की, रिवनट्राप और स्तालिन की मुलाकातों के फोटो छापे गये थे । इस संघि से हमे साँस लेने के लिए, देश की रक्षा-व्यवस्था निर्मित करने के लिए कुछ समय मिल गया जो बहुत जरूरी था। लेकिन हर कोई इसे समभता नहीं था । मुझे याद है, मानो सब कुछ अभी कल को ही वात हो, कि कैसे सम्मेलन में एक आदमी, जिसका नाम मारुनो था और जो एक प्रवक्ता था, उठा और कहा: “कामरेड ब्रेकनेव, हमे अजनाक्रमण संघि के बारे में लोगों को समकाना है कि यह सच्ची भावना से की गयी है, और जो कोई भी यह विश्वास नहीं करता वह उकसावे की वातें कर रहा है । लेकिन लगता है, लोगों को इसमें अधिक विष्वास नहीं है । इसलिए हम क्या कर स कते हैं ? हमें इसके बारे में लोगों को समकाना चाहिए या नहीं ? ” छोटा प्रदेश : पुनर्जन्म ::. [1




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