कोई शिकायत नहीं | Koi Sikayat Nahi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand): रैघ्:
ऐसा होता है कि एक साल भी बहुत लंबा हो जाता है श्रौर उसका हर महीना खासी
लंबी मूदूत मालूम होने लगती है । मेंने कई बड़े भारी श्रांदोलन देखे हैं श्रौर क्या
मालूम भ्रभी ्रौर कितनें ऐसे ही श्रांदोलनों में से गुजरना होगा । इन सब वर्षों में
केवल सेने ही नहीं, बल्कि हमारे श्र बेशुमार साथियों ने भी तरह-तरह की भाव-
नात्रों का अनुभव किया है । हमने ऐसी घड़ियां भी देखी हैं जो बड़ी खुशी की घड़ियां
थीं श्र ऐसी भी जिनमें असीम निराशा थी । कभी-कभी ऐसा भी हुश्रा है कि
हमारे चारों श्रोर श्रंघेरा छा गया है श्रौर हमें रास्ता सुभाई नहीं दिया है । फिर ऐसे
मौके भी श्राये हैं जब इस श्रंघेरे में रोशनी की कोई किरण दिखाई दी है श्रौर उसी
से हमारे मन में अपनी लड़ाई जारी रखने के लिए नई श्राशा श्र नया जोश पंदा
हुमा है ।
परेदानी श्रौर तनहाई के इन सहीनों सें बहुत-सी बातों की याद मेरे मन में
्राती रही है। सिर्फ इस खयाल से कि दिल किसी भी काम में लगा रहे, मेंने इन
चीजों को लिखना शुरू किया श्रौर धीरे-धीरे इसीसे यह किताब तैयार हो गई।
इन बातों को लिखते वक्त मुझे ऐसा मालूम हुआ कि में फिर एक बार श्रपनें बच-
पन के श्रौर उसके बाद के दिनों में पहुंच गई हूं । इनमें कुछ बातों की याद दिल को
खुद करनेवाली रही है, श्रौर कुछ बातों से तकलीफ भी हुई है । पिछले जमाने की
बहुत-सी बातें याद करते हुए में हँसी भी हूं श्रौर मेरी ्रांखों से रांसू भी निकल पड़े
हैं । इनसे मु थोड़ी खुशी भी हुई है, पर शांति बहुत मिली है। कभी-कभी थोड़ा
सिर दर्द भी महसूस हुभ्रा है ।
मेरे बचपन का जमाना बड़े ही सुख भ्ौर शांति से गुजरा है । हमारा कुनवा
छोटा-सा था श्र हमारी_छोटी-सी दुनिया सुख श्रौर द्ांति को दुनिया थी, जिसमें
दुख या तकलीफ नाम को न थी । धीरे-धीरे हमारा जीवन कॉफी बदल गया, फिर
मी हम सब एक साथ रहे। इसलिए इन बातों का कोई खास श्रसर नहीं पड़ा । पर
ज्यों-ज्यों वक्त गुजरता गया, परिस्थिति ने हमें मजबूर किया कि हम एक-दूसरे से
रहोंजाय॑ । फिर भी समय बीतता गया श्ौर हालात जैसे कुछ भी रहे उन्हींके
मुताबिक हम श्रपने-प्रापको झानेवाली परिस्थितियों के मुकाबले के लिए मजबतत
वनाते गए ।
कुछ महीने पहले मेंने जवाहर को हिंदुस्तान में किसी जगह' खत लिखा श्रौर
हमारे खानदान में पिछले पंद्रह साल की घटनाओं का जिक्र किया । उन्होंने मेरे
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