हम और हमारे बालक | Hum Aur Hamare Balak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
117
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand): जैक
काम करना चाहता है, इसीलिए वह गलत रास्ते पर जा रहा है !
साधारणतया होता यह है कि जिस काम को हमने नहीं किया है
हम उसे गलत कहने लग जाते है + हमने ऐसे बहुत-से माता-पिता
देखे है, जो शुरू मे अपने लड़के को चाय पीते देखकर घोर भर्त्सना
किया करते थे, परन्तु अब स्वय दिन मे तीन बार चाय पीते है ।
हमने ऐसे भी माता-पिता देखे है, जो स्वय भॉग अथवा शराब के
आदी है, परन्तु लड़के के हाथ मे चाय की प्याली फटी श्रॉख नहीं
देख सकते । दिन प्रति दिन के जीवन से एक नहीं ऐसे अनेक उदा-
हूरण प्रस्तुत किये जा सकते है, जब कि. माता-पिता गलत और
मर्जी अथवा दस्तूर के खिलाफ मे कोई फर्क नहीं समभते और
बच्चों को डाटने लगते है ।
(२) जब हमारे माता-पिता हमे डाटते थे, तब हमारे ऊपर
उसकी क्या प्रतिक्रिया होती थी ? क्या हम उनकी बात मान लेते
थे ? क्या हम वह काम कभी नहीं करते थे ?
(३) हमने अब तक जिन कामों के लिए अपने बच्चों को
डाटा है, हमारे बच्चो ने क्या वे काम नहीं किये ?
इन उपयु क्त तीन प्रदनो के उत्तरों को सामने रखकर आप
इसी नतीजे पर पहुँचेगे कि (१) डाट लगाने वाले माता-पिता को
बालक अपना दाजू--अपने मार्ग का रोडा समभने लगता है, तथा
(२) उस काम के करने में वह विशेष उत्साह के साथ प्रवृत्त होता
है । वह सोचता है कि आखिर बात क्या है, जो ये मुक्त इंस काम
को नहीं करने देते । कहने की आवध्यकता नही है कि उत्साह की
यह अतिशयता ही बालकों को पथ-श्रप्ठ कर देती है ।
मेरी उम्र उस समय लगभग पाँच वर्ष की थी, में एक शादी
में गया । वहाँ मैने स्त्रियों को कुछ गालियाँ गाते सुना, मैने उन्हे
याद कर लिया और गाता हुआ घर आया । मेरी मौसी ने मुझे
इस जोर से डाटा कि में सहम कर चुप हो गया । लगभग ४-६
दिन बाद मैने अपने नौकर से पूछा कि इस चीज को गाने में क्या
हज है, और मौसी ने मुझे क्यों डाटा ? नौकर ने उस गाली को
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