हम और हमारे बालक | Hum Aur Hamare Balak

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hum Aur Hamare Balak by राजेश्वर प्रसाद चतुर्वेदी - Rajeshvar Prasad Chaturvedi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राजेश्वर प्रसाद चतुर्वेदी - Rajeshvar Prasad Chaturvedi

Add Infomation AboutRajeshvar Prasad Chaturvedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
: जैक काम करना चाहता है, इसीलिए वह गलत रास्ते पर जा रहा है ! साधारणतया होता यह है कि जिस काम को हमने नहीं किया है हम उसे गलत कहने लग जाते है + हमने ऐसे बहुत-से माता-पिता देखे है, जो शुरू मे अपने लड़के को चाय पीते देखकर घोर भर्त्सना किया करते थे, परन्तु अब स्वय दिन मे तीन बार चाय पीते है । हमने ऐसे भी माता-पिता देखे है, जो स्वय भॉग अथवा शराब के आदी है, परन्तु लड़के के हाथ मे चाय की प्याली फटी श्रॉख नहीं देख सकते । दिन प्रति दिन के जीवन से एक नहीं ऐसे अनेक उदा- हूरण प्रस्तुत किये जा सकते है, जब कि. माता-पिता गलत और मर्जी अथवा दस्तूर के खिलाफ मे कोई फर्क नहीं समभते और बच्चों को डाटने लगते है । (२) जब हमारे माता-पिता हमे डाटते थे, तब हमारे ऊपर उसकी क्या प्रतिक्रिया होती थी ? क्या हम उनकी बात मान लेते थे ? क्या हम वह काम कभी नहीं करते थे ? (३) हमने अब तक जिन कामों के लिए अपने बच्चों को डाटा है, हमारे बच्चो ने क्या वे काम नहीं किये ? इन उपयु क्त तीन प्रदनो के उत्तरों को सामने रखकर आप इसी नतीजे पर पहुँचेगे कि (१) डाट लगाने वाले माता-पिता को बालक अपना दाजू--अपने मार्ग का रोडा समभने लगता है, तथा (२) उस काम के करने में वह विशेष उत्साह के साथ प्रवृत्त होता है । वह सोचता है कि आखिर बात क्या है, जो ये मुक्त इंस काम को नहीं करने देते । कहने की आवध्यकता नही है कि उत्साह की यह अतिशयता ही बालकों को पथ-श्रप्ठ कर देती है । मेरी उम्र उस समय लगभग पाँच वर्ष की थी, में एक शादी में गया । वहाँ मैने स्त्रियों को कुछ गालियाँ गाते सुना, मैने उन्हे याद कर लिया और गाता हुआ घर आया । मेरी मौसी ने मुझे इस जोर से डाटा कि में सहम कर चुप हो गया । लगभग ४-६ दिन बाद मैने अपने नौकर से पूछा कि इस चीज को गाने में क्या हज है, और मौसी ने मुझे क्यों डाटा ? नौकर ने उस गाली को




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now