काव्य में पादप पुष्प | Kavya Men Padap Pushp

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Kavya Men Padap Pushp by श्रीचन्द्र जैन - Srichandra Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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धार्मिक - विचार बनिजों भवन्तु दं नो ऋग्वेद ७. २४. ४. वृक्ष हमारे लिए शान्तिदायक हों गा रद ग्फ भगवान्‌ कृष्ण कहते हैं--“ब्रज के पेड़ बड़े-बड़े ऋषि हैं जो वृक्ष बनकर मेरा और श्री बलराम जी का दर्शन करते हैं ।”' -श्रीसद्भागवत “हुरा पेड़ काटने वाले और जानवर को मारनेवाले को खुदा माफ़ नहीं कर सकता ।” -कुरान-शरीफ़ नए 0 0 मनन मल ए ४ १ कक भी 8 ज्कय न ट | १ 0 नि ०: [ः भी ज़ी पे । कर हक थ पक) ७ श्र डर हद ट झा द 2 रद कै 0 /क ही (00! किक: 2४ व ग न व 'छ 1 थे पु || जा दि है 1 शक क ग दर ््य हा कफ कक | ् ही थे ् थक फिर, थे थ हे रे कु के ” न्य * 10, व की गा न ह* | दी क 5 द के * का त हुग्प नल थक की भ हज ्ड ढक 0 दर कर गा 4५2 हे यु थ् डक हि ४ कद रा मम दा] |. «है, कपल का पं दर | ०2। जग कक कक ज क दा की “कर. दर दी छा लि 5 रे श भ 101 न मी कि पक शी ड ह 1 ० 7 # ९ कं, 0 थ मजे कद 221 ज न न सर हर 2: कक का श शक के कई ह.. श् लि है नह ग्( हू की के न,




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