गुजराती और ब्रजभाषा कथा - काव्य का तुलनात्मक अध्ययन | Gujrati Aur Braj Bhasha Katha - Kavya Ka Tulanatmak Adhyayan

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Gujrati Aur Braj Bhasha Katha - Kavya Ka Tulanatmak Adhyayan  by जगदीश गुप्त - Jagdish Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( र५ ) मे भावमय स्थल २४३, कृष्ण की बाल लीलाएँ २४३, मानवीय भावों के साथ कृष्ण के छोकोत्तर रूप का मिश्रण २४४, कृष्ण-जन्म २४७, बाल- स्वभाव २४९, वय-विकास २५४, बाल-छवि २५७, माखनचोरी २५९, गोचारण २६३, नंद, वसुदेव, यशोदा और देवकी के उद्गार २६५, रासढीला २८४, दानलीला २९२, मानलीला ३००, पनघटलीला ३०५, संयोगावस्था की विविध मनोददयाएँ ३०९, खडिता गोपियों के भाव ३२०, कृष्ण का मथुरागमन ३२६, भ्रमरगीत ३३७, संदेश पाने से पुर्वे ब्जवासियों की मनोदशा ३३८, सदेश की प्रतिक्रिया ३४०, कृष्ण के प्रति गोपियो का उपालभ, व्यंग्य, और अनन्य प्रेम, ३४१, पुनर्मिलन ३४७ पादटिप्पणियोँ ३५३-३५४ पंचम अध्याय कला-पक्ष कक न --« र५५-३९९ छंद दृश्य-चित्रण ३५५, स्वभाव-चित्रण ३६१, प्रकृति-चित्रण ३६४, प्रबन्ध- निर्वाह ३७१, उक्ति-वैचित्य और अछकार-विधान ३७५, उक्ति-वैचित्य ३७६, अलकार-विधान ३७८ पादटिप्पणियाँ ४०० पृष्ठ अध्याय कक न «««. ० र*४२९२८ आख्यान-दली ४०२, आख्यान-दैली मे प्रयुक्त छंद और उनका स्वरूप ४०३, पद-दौलो ४१६, पदों की रूपरेखा ४१६, श्रुवा और श्लुवा सहित पद ४१७, पद-दौली मे प्रयुक्त प्रमुख छद और उनका स्वरूप ४१९, मुक्तक-ेली ४२४, मुक्तक-दली में प्रयुक्त छंद और उनका स्वरूप ४२४, आन्तर-प्रास ४२५, रागों का निर्देश ४२७ पादटिप्पणियाँ ४२९-४३० सप्तम अध्याय भाषा-दौली भ का .... रे १-५८ दाब्द-भांडार ४३१, तत्सम शब्द ४३१, तदभव झब्द ४३५, लोक प्रचलित तथा देशज दब्द ४३८, विदेशी शब्द ४३९, पर्याय दाब्द ४४०, लोकोक्तियाँ




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