भारतीय अर्थशास्त्र | Bhartiya Arthsastra

Bhartiya Arthsastra by भगवानदास केला - Bhagwandas Kela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(जज विक्रय सम्बन्धी ब्यहुविधाएँ--दलालों की श्धिकता-पदार्थों के माव-ताव करने में वियय में-दाट-व्यवस्या-साल का विदारनना व्यापारिक सफलता श्रौर ईमानदारी--युद्ध श्रौर देशी व्यापार | पृष्ठ रु १-रद६४. चोसवाँ अध्याय विदेशी व्यापार प्राकपन-- भारतवर्ष का प्राचीन व्यापार--व्यापार का परि- माण--व्यापार का स्व॒रूप--शझ्ायात की वस्तुएँ -रूई श्रौर सूती माल नएरेशमी श्रीर कनी माल-लोौदि श्रीर फौलाद का सामान--चीनी मिट्टी का तेल श्रौर पेट्रोल--कागज़-+श्रायात की श्न्य बश्तुएं-- हमारे निर्यात के पदार्थ; जूठ '्रौीर उसका सामान--रूई श्रौर यूती माल--छा पदार्थ--तेलइन--चाय--चमडा श्र खाल-एऊन-ण घातु--ब्यापार की बाकी--सीमा की राह से ब्यापार--श्रायात-निर्पात सम्बन्धी विशेष वक्तव्य--विदेशी बहिष्कार श्रौंर विश्वर्थघुत्व--विदेशों में मारतवर्ष का. गौरव--युद्ध श्रौर विदेशी व्यापार--युद्धोत्तर ब्यापार | श्रृष्ट र६५--र८३ इकीसवाँ झध्याय विदेशों व्यापार को नोति संरचण नौति--मुक्तद्वार-व्यापार-नौति--इन नौतियों का ब्यव- ४ द्वार--भागत की च्यापार नोति--निरयोतनकर--साधाज्यास्तगंत रिया- यत--साम्राउ्य सम्बन्धी व्यापार का स्वरूप --छाघाज्यान्तर्गत रियायत से भारत की दानि--व्यापादिक समसमौते--ब्यापार मीति श्रौर श्वन्त- रॉप्ट्रीयता । शप्ठ रेठप--रदर




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