ठकुरानी | Thakurani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about यादवेन्द्र शर्मा ' चन्द्र ' - Yadvendra Sharma 'Chandra'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ह श्
ठाकुर के'महँल के आगे किसानों का जया दस हद सै बैठी थां ! तीर
किसानों ने भूख-हड़ताल कर रखी थी । उन्होंने प्रण कट लिया था कि जव तक
ठाकुर का जुल्म खत्म नहीं होगा, तव तक हम अन्न का दाना मुंह में नहीं
डालेंगे । ठाकुर खीवसिंह ने महाराजा की आाज्ञा की अवज्ञा की थी, इसकी
सुचना शिव ने महाराजा को पहुंचा दी थी । कल ठाकुर के कारिन्दों ने एक
किसान मुरली को पकड़ कर इतनी बेरहमी से पीटा कि उसकी मौत हो गई ।
शिव व दूसरे किसानों ने जब इस जोर-जुल्म के विरुद्ध नारे लगाये और ठाकुर
को न्याय कराने की चुनौती दी तब उनके सामने संगीनें तान दी गई । फल-
स्वरूप निहत्ये किसान हिंसात्मक कार्यवाही करने को आतुर हो उठे । उन्होंने
रुकुर को मारने का आह्वान किया । विल्तु शिव ते उन्हें रोक दिया सौर
तुरन्त दो आदमियों को महाराजा के हुछुर में भेजा । महाराजा तुरन्त रवाना
हो गये ! उसका एक कारण यह भी था. कि यदि यह भाग भड़क जाती तो
केन्द्रीय शासन हस्तक्षेप करता और अंग्रेजों की नीति सदा ठिकानों को समाप्त
करने की रही थी 1
शिव लौट भाया था । वह उत्तेजित किसानों को शान्त कर रहा था ।
उसने सबको समझाया, “हिसात्मक कदम से हम ुचल दिये जामेंगे । हमें
अपना दुखड़ा अन्नदाता को सुनाकर ही कोई ऐसा काम करना वाहिए जिससे
हमें मुंह की न खानी पड़े ।” चाँदनी में शिव और अन्य किसानों की मुखाकृतियाँ
स्पष्ट दीख रही थी 1 इधर शिव किसानों को शान्त कर रहा था, उधर हवेली
के पीछे से आग की लपटें भड़क उठी । किसान विश्मित से उन लपटों को
देखते लगे । ठाकुर दहाड़ मार कर अपने महल से वाहर पालकी पर निकला,
पालकी पर इसलिए कि वह जन्म से अप॑ंग था और उपस्थित लोगों पर गालियाँ
बरसाता हुआ बोला, “तुम लोगों की यह जुरूत कि मेरें घर को आग लगाओ
से सबको भोवलियों से 'युगधा चूणा १”
उसका इतना कहता था कि ठाकुर के कई कारि्दे एक किसान को पकड़
लाये । यह किसान वस्तुत: किसान नहीं था, ठाकुर का ही आदमी था, जो
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