कवि - नाटयम | Kavi - Natayam
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
191
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रामदास :
अकबर :
रामदास :
झकबर :
कवि-नाट्यम
लटक चाल से चलते गोपाल को श्राते देखकर,
उसकी तसवीर बनाई हो ।
अ्रापका कथन सही है, जहाँपनाह । सचमुच
कुंभन दास ऐसे ही सिद्ध महाकवि हैं, जिनकी
साधना की भाव-भूमि में साधक श्रौर सिद्धि
घुल-मिलकर एक हो गये हैं । कुंभन दास श्रौर
कृष्ण में श्रब कोई भेद नहीं रहा इसकी साक्षी
स्वयं गिरिराज गोवध॑न की एक-एक दिला बन
गई है, सम्राट ।
हमारा सौभाग्य है कि हमारे शासन-काल में
ऐसे-ऐसे महाकवि श्रौर भक्त मौजूद हैं । रामदास
यह साहित्य श्रौर संगीत के धनी गिरिराज से
कितनी दूर रहते हैं ?
गिरिराज गोवधन के निकट ही. जसुनावते
गाँव के एक कच्ची स्वच्छ कुटी के बासी
कंभन दास श्रपने गाँव के पास ही परासौली में
कृषि करते हैं सम्रादू ! वैसे श्री नाथजी के मंदिर
में कीत्तेत करना ही उन्होंने अपने जीवन का
एकमात्र व्यवसाय समान लिया है, जहाँपनाह ।
उससे जो समय बचता है, उसे ही वे परिवार के
भरण-पोषण के लिए खेती में लगाते हैं ।
तब तो वे गृहस्थ-भक्त हैं। संसार में रह कर
भी उससे दूर । हम ऐसे महापुरुष से मिलना
चाहते हैं । (घण्टा बजाता है) दूत श्राता है ।
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