अपना राज्य | Apna Rajya

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Apna Rajya by ठाकुरदास बंग - Thakurdas Bangवैजापुरकर - Vaijapurkar

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ठाकुरदास बंग - Thakurdas Bang

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वैजापुरकर - Vaijapurkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्२्‌ अपना राउय अनेक कार्य शुरू है । किसान-सभाएँ और मजदूरों के 'यूनियन' वेतन-बृद्धि, छुट्टियों आदि मॉगकर मजदूरों का जीवन सुखी करने का यरन कर रहे है। लेकिन इन सब सुधारों से वर्तमान पूंजीवादी समाज-रचना वदल नहीं सफती । धनवान धनवादु ही रहेगा । गरीबों की गरीबी किचित्‌ दूर होगी । कदाचितु उतना भी न होगा, क्योकि क्राति के पूर्व सुधारों से कभी-कभी सुल रोग और श्रघिक बढ जाता है । श्राज के समाज मे तकाबी दी जाय या सुधार लागू किये जायें, तो भी उनका लाभ ऊपर के वर्गों को ही मिलता है । पैसे के पास ही पैसा जाता है। जिनके पास कुछ नहीं है, उन्हें इन सुधारों से कोई लाभ नहीं मिलता । जिसके पास खेत नहीं, उसे झ्राधिक मदद भी नहीं मिलती । गरीब झ्रादमी स्कूल का लाभ कैसे उठा सकता है * उसे तो श्रपने बच्चे को प्णुग्नो के पीछे ही भेजना पड़ता है झौर लडकी के जिम्मे घर में छोटे-छोटे बच्चो को संभालने का काम श्राता है । दूसरी पंचवर्षीय योजना में पाँच हजार झ्ावादी के नीचे- वाले गाँवों पर जो रकम सर्च होनेवाली है, उससे पाँचगुनी रकम पाँच हजार जनसंग्या से ऊपरवाले कसबों श्रीर दादरों पर से होनेवाली है। कागेस के सन्नी श्री श्रीमन्नारायणणी यहते हैं : सामुदायिक विकगस-योजनाएँं श्रीर विस्तार-योजनाएँ निम्नवर्ग की श्राधिक स्थिति सुधारने में सफल नहीं हुई ।' इसलिए यह भ्रन्त्योदय या श्रर्यात्‌ सबसे नीले के लोगों के उदय था कायकम नहीं है । झोर फिर इस योजना की गति भी बटूत हो मंद है । पौच वर्षों में देश का उत्पादन परचीस प्रतियात बढ़ने-




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