जे॰ सी॰ कुमारप्पा जीवन व्यक्तित्व और विचार | J. C. Kumarappa Jiivan Vyaktitv Aur Vichar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उन्हें चिढ़ थी । यही कारण था कि वे विद्वेष लोक-संग्रह नहीं कर सके और लोग उनसे डरते भी थे । गांधीजी की स्मृति किस तरह चिरस्थायी रखी जाय, इसके सम्बन्ध में भी कुमारप्पा के विचार बड़े क्रान्तिकारी थे । उन्होंने कहा, “हमारे देश मं जनतन्त्री सरकार है । स्मारक की स्थापना सरकार अपने आथिक साधनों से कर सकती है। स्मारक के लिए रुपया एकत्र करने में जो शक्ति लगायी जायगी, उसका अच्छा उपयोग रचनात्मक कामों में लगाने से होगा। गांधीजी के कार्यक्रमों को रुपयों की कमी कभी नहीं रही । सबसे बड़ी कमी कार्यकर्ताओं की रही है । गांधीजी की स्मृति में खड़ी की गयी सबसे बड़ी स्मृति व्यक्ति की है । हमें उचित व्यक्तियों की निधि तैयार करनी चाहिए । जब त्याग- वृत्तिवाले छोग निकलेंगे तो वे गांधीजी के प्रकाश को फैलाते हुए देश में घूमेंगे और वे ही अहिसिक विचार के श्रेष्ठ प्रति- निधि होंगे । वही गांधीजी का सच्चा स्मारक होगा, जो व्यक्ति की विराट तथा छिपी हुई युवा-शक्ति को अपने दायरे में ला सके और उसे शान्ति और समन्वय के मागे पर मोड़ सके ।”' कुमारप्पाजी का जीवन विविधस्पर्शी रहा है। वे विचार, अथ और कम में पक्के और सच्चे हिसाबी थे । पक्के देशभक्त और सच्चे लोकतास्त्रिक थे। नयी तालीम के छात्र और शास्त्री थे । कुशल सम्पादक और लेखक के नाते वे दूर-दूर तक मशहूर थे । उनके जीवन में कथनी और करनी का तादात्म्य था |




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