भारतीय अर्थशास्त्र की समस्याएँ भाग - 1 | Bharatiy Arthashastra Ki Smasyayaen Bhag - 1

Bharatiy Arthashastra Ki Smasyayaen Bhag - 1 by पी॰ सी॰ जैन - P. C. Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्राझतिक साधन श्श योजनाएं तीन या चार पंचवर्षीय योजनाश्रों के श्रन्व तक पूर्ण हो जायेंगी तब बिद्य त शक्ति लगभग ७० लाख फिलोवाट बढ़ जायगी | इमारे देश में समस्या केबल श्रचिक विद्य,त शक्ति के उत्पादन की दी नदीं हे वरन्‌ यदद मी हे कि विद्युत शक्ति पर्यास मात्रा में इतने सस्ते मूल्य पर लोगों को माप्त ो सके कि किसान, वीवट्री वाले श्रौर श्रन्य साधारण कारीयर उसका श्रावानी से प्रयोग कर सर्के । वनस्पत्ति और जानवर विशाल चेन्नफल, विभिन्न भौगोलिक स्थितियों, विभिन्न जलवायु इत्यादि के कारण भारत में वे सब्र प्रकार के चन, फलों के बाग, श्रौर खेती की उपज जो प्राय: उध्ण, शौत श्र समशीतोब्ण जलवायु वाले भुसेत्रों में पाये जाते हैं प्रात डू | देश में पालतू तथा चन्य पशु भी श्रनेक प्रकार के मिलते हैं । बन--मारत में वनों का नेत्फल लगमग १४ करोड़ ७७ लाख एकड़ है, जिसमें से ४ करोड़ ३५ लाख एकड़ जंगल दक्षियी भाग में, ३ करोड़ ६७ लाख एकड़ मध्यम भाग में, ३ करोड़ ६४ लाख एकड़ पूर्वों मार में श्रौर ७ करोड़ ६८ लाख ७० दजार एकड़ उत्तरी-पश्चिमी भागों में स्थित हैं । द्वितीय मददायुद्ध के समय श्रौर नेक राष्यों में जमींदारी उन्मूलन के पूर्वे बहुत घड़ी संख्या में वृच्च काटे गए, जिसके परिणामस्वरूप देश के वन-प्रदेश का छत्रफल बहुत कम हो गया है । वनों से देश को बहुत अधिक लाभ दोते हैं । उनमे इंधन श्रीर इमारती लकड़ी तो प्राप्त दोती दी है, इसके श्रतिरिक्त (१) वे श्रौद्योगिक उपयोग के लिए. बाँध, सवाई व श्रन्य घासें, लाख, गोंद इस्यादि भी प्रदान करते हैं, (२) बे भूमि स्षरण (5011 ल05100) रोकते हैं, मूमि की उरचरता को सुरक्षित रखते हैं, श्रीर (१) पशुच्नों के लिए चरागादद भी प्रदान करते हैं वन राष्ट्रीय झ्ाय के श्रत्यन्त महत्वपूर्ण साधन हैं। उनसे उद्योगों के लिए अनेक कच्चे माल प्राप्त दोवे हैं । भारत के बनों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण समस्याएँ यद हें कि : (१) वनों के चोत्रफाल में बुद्धि की जाय, (२) देश में जितने प्रकार के बुच्ष पाए जाते हैं उनका रुंरछषण किया जाय श्रौर (३) यथासंभव नई जाति के बुत भी उगाने प्रारम्भ हों । भारत सरकार ने वन नीठि से सस्कन्थित सई रट२ के प्रस्ताव में भारतीय चनों की सुरक्षा और उनके विकास की दावश्यकता पर ध्यान दिया । उस प्रस्ताव में यदद लक्ष्य रखा गया कि देश की कुछ भूमि का एक- तिदाई भांग वनों के रूप में रहे । दिमालय-प्रदेश, दक्षिण श्रोर अन्य पर्वतीय सेत्रों पर वनों के श्रस्तगेत कुल भूमि का ८०रदेगा, जब कि समठल छेत्रों में कुल भूमि २०% पर जंगल उगाए. जायेंगे | प्रथम पंचवर्षीय योजना में वनों की विकास-




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