प्रशासनिक सिद्धान्त | Prashasanik Siddhant

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Prashasanik Siddhant by प्रभुदत्त शर्मा - Prabhudutt Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हक अदाराग 4 उरच्ट दौर पाप एवं पहाप 5 है, जिरके द्वारा कार्क्रमों था पिर्पारण किया जाता प्रक्रियाओं की प्रगति का फिपगन शिया 'छाठा है और उनयी प्रगति को योजगाजं के सन्दर्म में जींधा जाता है।”' उप प्रवन्य छीपियों का पिर्पाण करता है, छिगागक प्रबन्ध विवौजा, शमन्वय एवं पिपन्यरण इंस्पी कार्य करता है जरकि फिव्य स्तरीय प्रबंध का कार्य पिरीराण करना एवं शा रा्बस्ी पीर्णय लेगा होता है | इरा दिषारघारा कै थय रामर्धकों मैं ए, हाल एवं थे. सी. डैगियल प्रमुख इसके पिपरीत शिम्याल एवं डिम्याल प्रबन्ध पर्प प्रशातर तथा इंगठन में विमेद करता एपित नहीं सगझते हैं कपौंकि प्रबन्प एवं प्रशाशन दौों पर्पापवाधी हैं । फिर भी इन द्वारा प्रदन्ध, प्रशासा एवं शंगदा मी परिसापाएँ दी गई हैं जौ यह रपह करती हैं कि “प्रबघ मैं थे शगी फर्रेप्य एवं कार्य राण्यिप्तिग हैं जो जि एक एपघम पौ प्रेरणा, दिल, भौतियों के पिर्पारण, संगरग आपर्यक औजारों, शामान्प रंगठा थी रुपरेखा तैयार करने तथा प्रमुख अपिकारियों का या करो रे सम्बघ रखते हैं ।” “प्रशाराए अथया पिडेशन में दे राभी कार्य पर्व फियाएँ राम्मितित हैं शिका ग्म्बस्य शरथाग के दितीय एवं रॉगठा के एश्यों दो ध्यान में रखते हुए कियान्ययन करना होता है ।” ”रंगठा प्रबन्य वा राहायफ है । इसके अग्तर्गत शिमिय्र दिगागों एवं कर्मचारियों के कर्तेण्यों का फिर्घारण करा, ए1फे छाों का मैंटवारा एवं णवियों तथा दिगागों के दीध राघन्थ पिर्पारण करण आदि आते हैं । संगठा वारतवं में प्रबन्ध का यय है प्रो, स्यूबैन (१४110 पटजयााणय) नै प्ररप एवं प्रशासा में अन्तर करने सै रपट इन्कार किया है । उनके अगुरार, ये एक-दूरारे कै राग पर प्रयोग में लाए जाते हैं अत ये एक-दूरारै के पर्गापदाधी हैं | प्रशासाक, प्रबस्पक एवं अधिशाती (एंज600४८) एक-दूररे रो मिलते-जुलते शब्द हैं । इपके अगुसार शामान्य एदेश्यों वी पूर्ति की और प्यक्तिगत रापूदों के प्रयारों का मार्गदर्शा, गैवृत्व एवं गियन्य्रण दरया प्रशाराग है जो कि प्रवत्प से मिलता -जुलपा है । प्रबन्प और प्रदाता दौों वो ही प्रशाशधिक एवं व्यावसाधिक ररथाओं में असग+अतयग प्रकार दो रायजा जाता है । रारकारी रर्थाओं में प्रशासा को प्रगप से व्यापफ माता जाता है | थ्यावशायिक जगत में प्रभत फा सर्प प्रवत्प प्रक्रिया दो लिया जाता है, जिराके अनार्गत्र रायूहिक रूप शे प्रबन्प दा कार्य शम्पिलित है | प्यपराप में शामार्प रूप शो प्रशाता दा रॉबंप एधरतरीय प्रवन्प रो लिया जाता है । प्रो, मैदपारतैण्ड कै अउुतार, “प्रशारग मैं गुण एदेरपॉं एवं नीतियों या फिर्पारण किया जाता है, जबकि प्रबस्प में एऐेश्यों को पूरा करत तथा गीतियाँ को प्रभावपूर्ण यगाते राप्बन्पी फियाएँ सम्मितित हैं (”” प्रपध गीति के फ्रियाव्यय हैतु नियोजा एवं पर्पवेशण शो राप्यन्थ रखता है, जबकि शंगठा किरी भी रस्थान था उद्यौग मैं शामूदिक रूप सै कार्य करनी वालों के कार्यो, उदरदाधित्पोीं, अधिकारों का वितरण एवं शुपूर्वगी करने चाली प्रक्रिया है | यह (रॉंगठन) एक पुरी है जिराके चारों और प्रबन्पकीय एवं प्रशासतिक क्रियाएँ चणार लगाती रहती हैं | प्रशारात पीर्देशा देगी था कार्य करता है, प्रदप कार्यकारी कार्य करता है छबकि रॉगिय्ग बह यरप्र है जिरफै माप्यम सै प्रशाराग पर्व प्रबन्प अपनै-अपनी कार्य करते रहती हैं । प्रशाराध निर्ारणात्मक कार्य से पर्बिप रखता है जयकि प्र कार्यकारी वार्य फरता है | रॉगठन इन दौनों प्रकार के कार्यों कौ प्रगावपूर्ण दंग रे करने हैतु एक ऐरी यन्य्र या रर्चिता था पिर्गाण करता है जिसके अन्दर्गत पिमिण प्यक्तिगएं समूर्णें के कार्पों, सपरदाधित्पों एवं अधिकारों का बैंटवारा किया जाता है और एन्हें अपने-अपने कार्य-शैत्र हेतु जिम्मेदार ठहराया जाता है । आपु्िक समय में 'प्रवन्प एवं प्रशासन दौपों शब्दों में ही मतगेद विधमान हैं | 'रॉंगठन' इस मतगैद सै परे निकस गया है यर्थोकि इसके अतर्गत विभिन्न व्यक्तियों के एप्रदाविएयों, अपिकारों, कर्पय्यों की सुपुर्दगी, सम्ब थॉ 'की रथापता एवं प्रपारों का रागुन्यय आदि क्रियाओं फो राण्गितितत किया जाते लगा है । इस पर मवगद गहीं है। नप्रबस्प' शब्द ब्रिटिश विषारपारा के अतर्गत 'प्रशातन' शब्द रो प्यापक माता जाता है | पिमिन्र यूरोपीय दैशों मैं प्रबष को अधिक गहाव दिया जाता है तथा प्रशासन एवं रंगठन दोों को इरफे अनार्गण राम्मिलित किया जाता है जबकि दूसरी ओर अमेरिकी विचारधारा के अगुशार प्रशाराग कौ व्यापक माना जादा है और प्रबत्ध एवं रंगठग कौ इसमें रागिलित फिया जाता है | ध्यायहारिक णीवन में नीति «धारण करने वाले एवं इराका क्रियान्वयन फरों पाले अलग-अलग प्यक्ति नहीं होते हैं । उदाहरणार्थ, एच्व-र्तरीय प्रबन्ध द्वारा नीति-तीर्पारण का फार्य करना प्रब्च है पदडदद्मरकस्कान बाव फिल्पल्स ठ फिबिक इटावा, 11, 2, हप्तर्थों कहें हवा ; गिफ्ट ए [ंपडपज! 0टरबपंडडति, फू 1 57-58, 3. दी एवितर्थ दें थाहुलाफटा, निधिलफव्ड धा्त फिहलरिटडा, छू. 1)




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