श्री राम चरित मानस अयोध्या काण्ड | Shri Ram Charit Manas Ayodhya Kand

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Shri Ram Charit Manas Ayodhya Kand by रामनाथ पांडेय - Ramnath Panday

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पड लय यान ननय, लय कमा भरतहि होइ न राज-स३ विधि हा दपाइ! कबहुँं कि कांजी-सीकरनि छोर-सित्य दिनज्ाइ 1' राजा ददरथके चरित्रका वर्णन जहां तक कैकेदीसि दस्वस्टिय है. दी पर करता है कि उनकी स्त्रीके प्रति अत्यधिक आसन्ति थी । साथ ही सलिएसी कर मदन जान का समाचार सुनकर सहम जाना और आगे पँप दाए के दमा उसको भारुता का परिचायक है । किन्तु उन्होंने रवुझुल की रीफि का सन सूप ऊ कुछ उठा न रखा | रघुकुल रीति सदा चलि आई । प्राण जाय दर झड़ ना डाउ़े 1 को पूर्णतया सत्य किया । 3त-स्वह के कार उन्दूले झप्ताफाया पद सिस्ल चचन से विमुख नहीं अयाध्याकाण्ड में जिन स्थलों का वर्पन एसस्स्कर डूँ सो झेदट कर पिन का वणन बड़ा ही रोचक और भावपूर्ण हैं । चाट ररिकेलटमर नई है सच वार-बार नावे लाने के लिए कह रद नसचा राम के चरण-रज का जो प्रभाव हैं उसे: डर दे कचरे से बसे के लिए केवट का हठ करना उसकी ऊन पंक्ति प्रकट कम्प्य-2 गे न न यम कमयाली ; य्ली माप स्पष्ट कह देता है कि» कि जा प्रभु पार अचसि गा चहड न व पक घट जकण्न झडह /) डर ० सदन पद कमल धोइ चढ़ाइ कर के पल - ला रा रे मोहि राम राउरि ६ न, पर! सटच्न्य्द भ््द्ा ध्स्टरि झ्सर रे पे कं ्ग्थ्य य्प्ल् वरु तोर मारहू लडन दैं उदा लोग का पायी टन नल पम्प तब लगि न दुल्सबस के कं न राग से सससीन न साया डाल दिन अर पे च धर पा * * पल अन्त में केवट के प्रेममें लेट ब्य्म >.. -.._ कर न्ते मं केवट के प्रेममें ले ट दँप रे सिट सेक डे घ्तैग उसको सो अनुसार कहना पड़ता हं है वेगि आन जल पा पकस्ड डे लदिडिस्टे उजप्स्ट एस थी सके ब्ग य न्प्क्स्य झतार4टुर जद गे चरण ट पं को च्न झा पड म्ॉडिया सगयोदक पान कु मे हों के द्दो * पाते चेरमादक पा है दि की न झट से डक टी जाता है । राम सका उन सटटम के गाय पार उसरने के मार गे लग दे सह स्कलु तल, टन ड ही सा न « कूनभप पिपड म उसे साताजी जा घी पेट द . 2. 25 इूफ ७त कि कं दि का सन किए बड़द घयसन झरने द. >.्स शक होकिस दातत की हे : >>. ... 2 सोथरे ही है हु सा पढ़ी खेसा 1 शान सो ्




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