भारत में पोच्र्यूगीज़ | Bharat Me Portuguese

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Bharat Me Portuguese by रामनाथ पांडेय - Ramnath Panday

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( दे ) अफिका के किनारे किनारे बराबर चले जाने से कभी न कभो डिन्ट्स्सान जरूर मिलेगा और इसो खयाल पर उसने विक्ञम सब्बत्‌ १५४३ (० सन्‌ १४८६) सें बारथो- लों मिप्रो-डिंघाज (8ि8ए9ि९0100018. ऐ1०४) नामक एक चोशियार आदमी को प्रथम आविष्कार का काम सॉपा । डियाज आरेस्ज्न नदी (08086 एश8) के पास पहुंच कर जद्दाक से उतर गधे । किन्तु जब फ़िर बे वहां से आगे. बढ़ने को तेयार इए तब बढ़ जोर से तूफान चठा और उससे उन्हें वर््ां से धकेल कर उत्तमाशा अन्तरोप के पार कर दिया भर उन्होंने एड लोग उपसागर (78108 885) में दूसरो बार जद्दाल बॉधघा । यद्यपि डियाजन का इरादा और भो आगे लाने का था किन्तु उसके साधी लोग आरी बढना नड़ों चाहते थे इससे उन्दे वद्ीं से लौट जाना पडा । उसके बाद उस आविष्कार का भार वास्क्रोडीगामा नामक एक बड़ विचक्ष और वीर पुरुष कं दिया गया | एक सौ साठ घुडसवारों सचिति वास्कोडीगामाके सेट ग्यावरियेल सेण्ट सिंगेल और बेरियों नामक जद्दाल जिस समय समुद्रकी छाती पर खडे इणए उस समय ० डोरसे (00555 कहते है कि १६० नहीं किन्तु २०८ चघुड़सवार थे कि लेकिन अलवरेज वेशपोकी डायरीमे रद० घुड़मवारों का हो जिक् है । डबल डबस्य इर्टर और एम० टेलर आदि को इसी लतका पोषष्द करते है |




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