जय भारत | Jay Bharat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
526
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'श्रहुर पुलोमनपुत्री इन्द्रायी बने. जहाँ ,
नर भी क्यों इन्द्र नहीं बन सकता वहाँ £
कौन कहता है, नहीं धाज सुर -नेता मैं !
पाकशासनासन का... सूल्यदाता, . कोता मैं ।
सायह तुरों ने मुमे सौंपी स्वयं शक्ता ,
कैसी फिर घाज यह वासवी की वक्ता £
अ्रस्तुत मैं मान रखने को एक तृण का ,
घौर मैं शणी हूँ परमाणु के भी श्यण का /
घपना थनादर परन्त यदि मैं सहूँ ,
तो फिर पुरुष हूँ मैं, किस मुहेँ से कहूँ १”
भला हठ-बाल पाके मन्मथ का. पालना ,
पाने से कठिन किसी पद का. सँसालना ।
न दूत ने
संदिता सुनाया, जो कहा था पुरहृत ने ।
“गझापकी कृपा से देव-कार्य विष्न-हीन है दे
जाकर रसातल़ में देत्य -दल्न दौन है)
वाहर की जितनी व्यवस्था, सब ठीक है थ
घर की धवस्था किन्तु शून्य है, श्रलीक है।
फिर थी शची थीं इस बीच ध्ापके यहाँ ,
घोर मायके-पता मोद पा रही थीं वे वहाँ ।
, धान्ना मिले, श्ाऊँ उन्हें लेने स्वयं प्रीति से कर
श्राप जो क्तावें उसी. राजोचित रीति से 1”
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