व्याख्यान रत्नमाला अपूर्व ग्रन्थ | Vyakhyan Ratnamala Apurva Granth

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : व्याख्यान रत्नमाला अपूर्व ग्रन्थ  - Vyakhyan Ratnamala Apurva Granth

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बलदेव प्रसाद मिश्र - Baldev Prasad Mishra

Add Infomation AboutBaldev Prasad Mishra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अं न्याख्यान रत्नमारा । -. श्र विचार करके अपनी राय कायम कर ली, उसे सुख हुआ, इससे यदद सार निकला कि अनिकत्वमें सुख इम्ख है अकेठे को झुछ नहीं अब राजा भी वहां से उठकर चलागया. ती भी दीपक कैसाही जलरदा है. उसके सामने दृखार हुआ, नाच गाना हुवा, सनी आकर चली गई, स्वयं राजा भी आकर चछे गये, उनको सुख दुख भी हुआ, बदद सारा यद्द दीपक देखता रहा, जो कुछ इआ इसी के कारण से हुआ. परन्हु वह अन्ततक सर्य मसह् रहा, अब राजा चछे गये ती भी वह पहले की तरह जलरहा है, राजा; रानी, दरबार, नाच सब के लिये उसकी जरूरत थी, परन्तु स्वयं उसको « किसी की जरूरत नहीं है, बह स्वयं प्रकाश है, सजनो! यह झरीर महठ है, इसमें अहंकाररूपी राजा बैठा डुवा है; सेसारी बुद्धि नाचनेवाली वेश्या है; पांच कर्मेंद्रिय और पांच ज्ञानेंद्िय इसके साजिदे दें, यादि वुद्धिरूपी नठनी का घर इन इन्द्रिय साजिन्दों का मेठ मिठगया ती सुख इसा और वे मेछ होगया तो दुः्ख,शाख्र विधि के अनुकूल इन्दियोंका साज वजा गौर घुद्धि चेदया ने नृत्य किया ती सुख होगा और विवेक मतिकूरू साजिन्दे और वेश्या अपनी ९ इच्छा के अनुकूठ चलने छमे तो दुश्ख होगा, अपनी धमेपत्नी में सन्तानोत्पादून करने से नटनी साजिन्दों का मे मिठकर सुख होत्ता है बर पर खो की इच्छा रखने में वे मेछ काम दोता है उससे हशख दोतहि- यदद राजा, यह वेश्यायें सानिन्दे इन सब का मकाशक आत्मा दे परन्तु वह दीपक की तर तीनों काल में अंग दें. उसे फिसी के हुख़-दुम्ख से गरज नहीं है दापक और आत्मा म भेद उत्तनाही है कि लोकिक दीपक चेत्तन्य रहित है और आत्मा संचिदानन्द है; इस मकाशक मात्मा के मकाश से मनुष्य जो कुछ भटे बुरे कर्म करता दें उनका गुप्तचित्र उसके अन्तःकरण में ख़िंचा रहता हैं, बौर जमतक उसका फल न भोग छिया जाय तवतक वह वीजरूप से वहां पर रहता दै.. हमारे हृदय में बैठकर हमारे कमों का हिसाव रखनेवाठा चित्रयुप्त यह है, स्वम में भी जात जवस्वा में जिन बातो का संस्कार सिंत्तपर पडा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now