साहित्य चयन | Sahity-chayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( रुक
उसके सोसारिक अर पारलीफिक कल्यापका मुख्य साधन
है। सच्दे शीलकी संदायतासे हो. मनुप्पकों घरें, यश,
सम्पत्ति, पेश्य्य, शान, घराग्य आदि सब शुपोकी भाति
होती है ।
सारांश यही है कि लडीवन-संग्राम्म सफरूठ-मनोस्थ दोनेंझे
लिस शील ऐसा उपाय है जो घत्येक मनुप्परे स्वाधीन ह।
यदार्थनें शीलबान, होना अपने हो ऊपर अदलम्पित है।
शीलिदान ममुप्यकों अपने बाद झायरप तथा झाम्तरिक मनो-
भादोपर भी ध्यान देसा चरहिए। लिस प्रकार प्सम्नता,
नज्दा, सदिप्टुदा, उदारता, बाद उच्द साय धायश्पक है
उसी प्रसार किसीकी अनुचित हंसी न करना, ऐसी छोटी-
छोडी दाते भी. अावश्यक हैं। शील ही मतुप्पका सच्या
जीवमन्वरित्र है! इसका अभ्यास छाधायस्थासे हो होना
चाहिए। घड़ी आयुर्मे शौलका दइलना कष्ट साध्य अर
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