हिंदी को मराठी संतों की देन | Hindi Ko Marathi Santon Ki Den
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
546
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about शिव पूजन सहाय - Shiv Pujan Sahay
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मूमिका [ छः
इत गोकुल इईत मथुरा नगरी
सबे.. भई.. नीहाल ।
दास केसव गोपी. ग्वालन
तन मन घन बेहाल |
दूसरी रचना “गारुढ़ी* (सेंपिरा) शीपक है । मराठी सतों ने सेंपेरे के रूपक का बहुत
प्रयोग किया है और उसमे श्राध्यात्मिक भाव भरने का यत्न किया है |
देवदास की 'गारुड़ी' की कुछ पक्तियोँ नीचे दी जाती हैं--
वल (श्रव्वल) याद कर वस्ताद की
पीर पैगबर नबी की |
साघुसन्त सहतों की
जीन्ने ये मडा न पयदा कीया ।
अरे मैं देवदास गारोडी
खेलने की बाजी करू खड़ी
ईस खेलमो श्राडी तीडी
उस लंडीका काम नहीं ||
अरे मैं गारोडी देवदास
खेलने कु आया ठुमारे पास
श्रवल दील ते पकडो वबीसवास ॥
वज्यात पाशा देखते रहो
लाया हु गयब (गैंब) का पेटारा
कोई गाव गुंडा होगा पूरा ।
भाई का नाम चारा । बोलो मेरे सो यारो ।
हो यारो ममता नागीन नाचती है ।
अब तुजकु बतला ।
वो वस्ताद के हाथ का येक मोहरा
हमारे हात च्येढ़ा दीन रख |
नागिन का ठुटे थारा
के श्रावने न पावे |
इसा की सोलहवीं-स्रहवीं शताब्दी में निजामशाह्ी में सामान्य जनता हिन्दी को जिस
रूप में बोलती थी, देवदास की 'गायड़ी”--रचना उसका एक उदाहरण है ।
मुकुन्दानन्द
मराठी सत-कवियों मे मुकुन्द नामधघारी छुद्द व्यक्ति हो गये हैं । एक एकनाथ चरित्र-
कार हैं ।. दूसरे सारिपाट-स्चयिता हैं, तीसरे प्रवस्थकार हैं, चौथे देवमक्तानुवाद, रामकृष्ण
विलास झ्रादि के कर्त्ता, पॉचवें सराठी श्रादिकवि विवेकर्सिधु, परमासृत आदि के लेखक
User Reviews
No Reviews | Add Yours...