मुहावरे और लोकोक्तियां | Muhavare Aur Lokoktiyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
388 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)धर
मुद्दावरे भौर लो को क्तियाँ ्
माँखें खुल ज्ञाना--्माश्वय होना । वम्वईमें जाकर ताज होटलको
देखो तो तुम्हारी आंखों खुल जायेंगी ।
आँखें पथरा जाना--निनिमेष होना। तुम्दारी बाट जोहते-जोहतें
उसकी 'माँखें पथरा गर्यीं ।
“- भाँखें उठ जाना-देखना । स्वामी रामतीथ ऐसे प्रभावशाली
साधु थे कि जिस ओर उनकी 'ाँखें उठ जाती थीं, लोग उनके भक्त बन
जाते थे।
आँखें फिरना-- प्रतिकूल होना । हमसे हमारा भाग्य ही फिस
हुआ है ; तुम्हारी श्याँखें फिर गयीं, तो ्ाश्चय क्या है !
:. माँखें फेरना--वे-मुरौवत दोना । जब तुम्दारा मतलब होता है, तब
मित्र बन जाते हो ; जब तुम्हारा उल्लू सीधा हो जाता है, झांखें फेर»
लेते हो।
* आँखें तन जाना--फ्रोबित होना । तुम भी विचित्र जोव दो, दुस-
रोॉंको मनमानी छनाते रहते हो ; परन्तु जब तुम्हें कोई चुभती हुई वात कह
देता है, तो तुम्हारी आंखें तन जाती हैं।
-- आँखें चार होना-नजर मिलाना । पढ़ले उसका अपमान किया,
झव उससे भरांखरे' चार करते हो ।
- माँखें चढ़ाना--क्रोध करना । जरा भ्रखाढ़ेमें उतरो तो जानू ; दूर
बेडे क्या आाँखें चढ़ाते हो ?
- आँखें दिखाना--धघमकाना । किसो दिन शिवदासको देख लिया तो
द्राँखें खुल जायंगी । जाझो अधिक 'ाँखें न दिखाओ । की
- आाँघें लाल-पीली करना--क्रोधित होना। उसने तुम्दारा कुछ
नहीं बिगाड़ा ; आँखे लाल-पीली क्यों करते हो ?
- आँखॉंमें हलका होना-सम्मान घट जाना। अपने श्राप भारी
बनेनेसे क्या दो सकता है जब कि तुम सबकी भां स्टॉमें इलके दो गये।
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