मुहावरे और लोकोक्तियां | Muhavare Aur Lokoktiyan

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Muhavare Aur Lokoktiyan by गिरीशचन्द्र जोशी - Girishchandra Joshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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धर मुद्दावरे भौर लो को क्तियाँ ् माँखें खुल ज्ञाना--्माश्वय होना । वम्वईमें जाकर ताज होटलको देखो तो तुम्हारी आंखों खुल जायेंगी । आँखें पथरा जाना--निनिमेष होना। तुम्दारी बाट जोहते-जोहतें उसकी 'माँखें पथरा गर्यीं । “- भाँखें उठ जाना-देखना । स्वामी रामतीथ ऐसे प्रभावशाली साधु थे कि जिस ओर उनकी 'ाँखें उठ जाती थीं, लोग उनके भक्त बन जाते थे। आँखें फिरना-- प्रतिकूल होना । हमसे हमारा भाग्य ही फिस हुआ है ; तुम्हारी श्याँखें फिर गयीं, तो ्ाश्चय क्या है ! :. माँखें फेरना--वे-मुरौवत दोना । जब तुम्दारा मतलब होता है, तब मित्र बन जाते हो ; जब तुम्हारा उल्लू सीधा हो जाता है, झांखें फेर» लेते हो। * आँखें तन जाना--फ्रोबित होना । तुम भी विचित्र जोव दो, दुस- रोॉंको मनमानी छनाते रहते हो ; परन्तु जब तुम्हें कोई चुभती हुई वात कह देता है, तो तुम्हारी आंखें तन जाती हैं। -- आँखें चार होना-नजर मिलाना । पढ़ले उसका अपमान किया, झव उससे भरांखरे' चार करते हो । - माँखें चढ़ाना--क्रोध करना । जरा भ्रखाढ़ेमें उतरो तो जानू ; दूर बेडे क्या आाँखें चढ़ाते हो ? - आँखें दिखाना--धघमकाना । किसो दिन शिवदासको देख लिया तो द्राँखें खुल जायंगी । जाझो अधिक 'ाँखें न दिखाओ । की - आाँघें लाल-पीली करना--क्रोधित होना। उसने तुम्दारा कुछ नहीं बिगाड़ा ; आँखे लाल-पीली क्यों करते हो ? - आँखॉंमें हलका होना-सम्मान घट जाना। अपने श्राप भारी बनेनेसे क्या दो सकता है जब कि तुम सबकी भां स्टॉमें इलके दो गये।




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