गद्य कुसुमावली | Gadya Kusumavali

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Book Image : गद्य कुसुमावली  - Gadya  Kusumavali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ललित कलाएं शोर फाब्य हू: 2. रु शितत न __ 2 शाब्दिक संफंतों फे भाधार पर अपना अस्तित्द प्रदर्शित करती है । मन फो इसका शान चसुर्रिट्रिय या फर्पेद्रिय द्वारा होता है। मस्िप्क तक अपना प्रभाव पहुँ- चाने में इस फला के लिये किसी दूसरे साधन फे घवलेघन फी ध्यावम्यफता नहीं होती । कानी या सार फो साय्दों फा शान सदन दी हा जाता है। पर यह प्यान रखना चाहिए फि जीवन की घटनाओं धार प्रति फे घाइस दृश्यों के थी काल्पनिक रूप इंद्रियें द्वारा मस्तिप्स या मन पर संसित देते हैं, वे फंपल भावमय होते हैं; धार इन मादों के शोतर कु सांझिविफ शब्द हैं। सतणएव दे भाव था मानसिफ चि्र हो बह सामपी है, लिसफें द्वारा फाल्य- फलानदिशार्द दूसरे फे मन से भझपना संदंघ स्पापिद करता हैं, इस मसंदंघनपापना की बादफ या सहायक भाषा है जिसका कवि उपयोग करता है | सपने फोर दाइफर धपदा झपने से सिसन संसार में शिवने दास्वदिफ पदएं ध्ादि है, उनका दियार इस दे। प्रफार से सी करते ैं झर्पाद इस झपनी जामत मो रपर्या में समग्द सांसारिक पदार्दों ये अनुभर दा प्रशार से प्राय फरते हैं... एक दा हानेडिरी द्ारा इनकी प्रत्यस बतन्यन्भजा इन शावरियों ट्रास डा हमारे मम्टिप्स परेचडे द रद ट््द्ठ नें पयोपे रे टन लिन आ झपद रद है 7 मे बरन ययोद के परामद में दंटा हू । उस




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