नागरिक शास्त्र की विवेचना | Nagrik Shastr Ki Vivechena
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
410
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गोरखनाथ चोबे - Gorakhnath Chobey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(७)
है। इस एकीकरण को समभाने के लिये हम विभिन्न सामाजिक
शास्त्री का अध्ययन करते हैं। चास्तव मे ये शास्त्र एक दूसरे से
भिन्न नहीं हैं, प्रत्युत एक ही वस्तु को समभने के लिये विभिन्न
दृष्टि कोण के प्रतिनिधि हैं । इतिहास भूतकाल की घटनाओं
का बणुंन करता है। भचिष्य के लिये हमें मागं म्रदर्शित करता
है । इसका प्रभाव समस्त सामाजिक शास्त्रों पर बड़ा ही गददरा
पड़ता है | साहित्य मनुष्य के विचारों का प्रतिविस्व है। इसी के
प्रकाश से दम विभिन्न शास्त्रों में प्रवेश करते हैं। भूगोल से मनुष्य
के स्थानीय जीवन का ज्ञान होता है । विभिन्न प्राकृतिक जीवन से
किस प्रकार सनुष्यो की रददन-सहन तथा रसम-रवाज़ मे परिवतन
हो जाया कर्रवें है इसका ज्ञान हमे भूगोल से ही होता है। अर्थ
शास्त्र मनुष्य के सामाजिक जीवन का एक प्रधान ग है । इसलिये
समस्त सासाजिक शास्त्रों मे एक घनिष्ठ सम्बन्ध है । दम इन्हे
एक दूसरे से सबंधा प्रथक् नहीं कर सकते ।
* नागरिक शास्त्र तथा राजनीति शास्त्र मे जितनी घनिष्ठता
है उतनी किन्दी भी दो शास्त्रों मे नहीं है। एक
नागरिक शास्त्र प्रकार से सागरिक शास्त्र राजनीति का एक झंगस
और है। जिस प्रकार पौधे और चुक्ष से कोई चस्तु विभेद
राजनीति शास्त्र नहीं है एवं अवस्था का अन्वर है. उसी म्रकार
राजनीति शास्त्र नागरिक शास्त्र का एक विकसित
रूप है । दोनों हीं शास्त्र सामाजिक व्यवस्था के साथ साथ उत्पन्न
होते है। दोनो के विकास का क्रम थी एक ही है। नागरिक शास्त्र
नागरिक को अपने कत्तंव्य और अधिकार का ज्ञान कराता है।
राजनीति शास्त्र उन अधिकारों को पालन करने का अवसर देता
है। यदि किसी देश में नागरिकता की बुद्धि हो, लोग अपनी सासा-
जिक व्यवस्था की उन्नति करे, तो यह स्वाभाविक है कि उस समाज
का राजनैतिक चातावरण शान्तिमय रददेगा। दोनो हीं शास्त्र यह
बतलाते हैं कि मनुष्य का एक दूसरे के प्रति तथा समाज के प्रति
क्या कत्तच्य है । सुख और शान्ति दोनो के ही अन्तिम उद्देश्य हैं ।
दोनों से विभिन्न सामाजिक संस्थाञ्यो की उत्पत्ति होती है । यदि
किसी देश की सरकार रक्षा का उचित प्रबन्ध न करे तो नागरिक
अपने कत्तंव्य का ठीक ठीक पालन नहीं कर सकता । जब
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