भारतीय और योरोपीय | Bharatiya Or Yoropiya

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Bharatiya Or Yoropiya by पं. सीताराम चतुर्वेदी - Pt. Sitaram Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 सूखंताका झ्रनुचित छाम उठाकर, उन्हें बौद्धिक दासताके बाँवकर, सदाके छिये निस्तेज, निर्वीयं तथा निःशक्त बनाए सेवा कराते रहें । झ्रार्योने तामसी श्रथवा मोतिक या उनके संग्रहके खिये इन विद्या्थोंका प्रयोग कभी नहीं विद्या-शक्तिसे जहाँ एक श्रोर समाज 'श्रोर कल्याणके साधन एकत्र किए, चह्टीं . उन्होंने झध्यात्म शक्तिके मो पूण झक्ति लगाकर परम तत्वके गूढठतम, सूक्मतम खोज करके झपना झाध्यात्मिक बेमव इतना च्रद्ध कर लिया दाक्तियाँ उसके सम्सुख नतमस्तक हो गइ । शः इडलोकिक शोर पारकोकिक तच््वोंका यह सिद्धान्त निकाल लिया था कि संसारका बंधा हुआ है। वह जेसा करता है वैसा द्वारा दह का चौरासी च बाज यो नियोंमेंसे किसी में हो मी




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