मुक्तिदाता | Muktidata

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२-प्रभु येंसु का जन्म उसी प्रान्त में चरवाहे मंदानों में जागरण करके रात्रि के पहरों के अनुसार अपने भुंड की रखवाली कर रहे थे। और प्रभु का एक दूत उनके पास आ खड़ा हुआ ईदवर की महिमा उनके चारों ओर चमक उठी और वे अत्यधिक डर से डर गए। स्वगंदूत नें उनसे कहा डरो मत क्योंकि देखो में तुम्हें महान्‌ आनन्द का सुसमाचार सुनाता हूँ जो समस्त जाति के लिए होगा आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए एक मुक्तिदाता खीस्त प्रभु जन्मा है। और तुम्हारे लिए यह चिह्न होगा तुम एक बालक को कपड़ों में लपेटा और चरनी में लेटा पाओगे। एकाएक स्वगेंद्रत के साथ स्वर्गीय सेना का समूह दिखाई दिया और ईदवर का स्तुतिगान यों करने लगा सर्वोच्च में ईदवर की महिमा प्रकाशित हो और पृथ्वी पर उन लोगों को छान्ति मिले जिनसे ईदवर प्रसन्न है। फिर जब स्वगंदूत उनको छोड़कर स्वगं सिधारे थे चरवाहे एक दूसरे से कहने लगे चलो हम बेथढेहेम को चलें और इस सारी घटना को देख लें जिसे प्रभू ने हमपर प्रकट किया है। वे शीघ्र ही गए और वहाँ उन्होंने मरिया योसेफ तथा चरनी में रखे हुए बालक को पाया।. और यह देखकर उन्होंने वह बात जो उनसे इस बालक के विषय में कही गई थी प्रकट की। और सभी सुननेवाले चरवाहों की बातों पर चकित हुए। लेकिन मरिया ने इन सब बातों को अपने हृदय में रखकर उनपर विचार करती रही। और चरवाहे जेसा उनसे कहा गया था वैसा ही सारा हाल सुन और देखकर ईदवर की स्तुति और महिमा गाते हुए लौट गए। बालक के खतने के लिए जब आठ दिन पूरे प्रभु येसु का ख़तना हुए तब उनका नाम येसु रखा गया जो नाम गर्भ में आने के पहले ही स्वगंदूत के द्वारा दिया गया था । सूसा के नियमानुसार जब शुद्धीकरण के दिन प्रभ येसु का पूरे हुए तब वे बालक को प्रभु को अपित मंदिर में चढ़ाया जाना करने येरुसलेम ले गए जैसा प्रभु के नियम में लिखा है हर पहलौठा बेटा प्रभु को आर्पित किया जाए और इस मतलब से भी कि वे पंडूकों का एक जोड़ा या कबूतर के दो बच्चे बलिदान में चढ़ाएँ जैसा प्रभु के सतियम में लिखा है। ९२ २१७ श्प




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