ओझा परेश पात्र की ओझाई | Ojha Paresh Patar Ki Ojhaei
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
111
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वअध्याय ; 17 | 15
रात के दो बजे के वक़्त बीमार संमला । और सवेरा होते-न-होते बूढ़े खाँ
साहब का बुखार चला गया । वस, मुनीरुद्दीन ने खुश होकर सिर्फ दक्षिणा
ही नही दी, वह बकरी का बच्चा भी दिया । हू ले, बेटी, तू ही उसे पाल ।'
ग्जरूर पालूंगी । कदम बकरी के बच्चे को लेकर दुलारने लगी 1
परे बोला, “तो सुन, मुनीरुद्दीन साहब ने रिदय के खोका को
बुलवाया । अब्वाजात खोका डाक्टर के इलाज मे थे । तमाम गोलियाँ
खिलायी, पैसों का सराघ हुआ। लेकिन रोग कम न हुआ। मुनीरुद्दीन नें
खोका डाक्टर को जवाब दे दिया । अन्त में अगति की गति, इसी परेद
पात्र की पुकार हुई। वस, एक मन्तर से ही काम फतह 1
परेद्या ने ही इस क्षेत्र में 'लोका डाक्टर' नाम चालू किया था । डाक्टर
का असली नाम था साधन भद्र । श्याम सुन्दर पुत्र हृदय दास का लड़का,
दाह से पास कर पूरा डाक्टर बनकर आया था। साधन की बहुत दिनों
की साध डाबटर बनने की थी । लड़का भी अच्छा था । टपाटप पास कर
गया स्कूल की परीक्षाएँ : अन्तिम परीक्षा में ज़िलेकी छात्र-दुत्ति भी
मिली । उसके बाद बाहर पढने गया; डाक्टरी पढने लगा । पास करके
निकला । सब लोगों ने सोचा कि साधन अब दाहर में रहेगा । लेकिन उसने
ऐसा न किया । गाँव लौट आया, एक कमरे में दफ्तर बनाया । पहले साइ-
किस खरीदी, उसके बाद छोटी-सी मोटर-साइकिल । देखते-देखते उसका काम
जम गया । लेकिन परेश पात्र का काम कम होने लगा । गाँव में अगर पास
किया हुआ डाक्टर मिले तो वीमारी दूर करने के लिए कौन ओोभा को
चुलायेगा ? बहुत लाचार होने पर डावटर जवाब दे दे, तभी न ओभा की
तलाश होती है ! इसीलिए स्वभावत: शुरू से ही परेध ने साधन को अपना
प्रतिद्वन्द्ी समक लिया । साधन को हेठा करने के लिए बह हाथ धोकर पीछे
पड़ गया । साधन की किसी भी विफलता को वह चिल्ला-चिल्लाकर सब
को बताता । साधन को “खोका डाक्टर नाम देकर उसने मज़ाक उड़ाना'
शाहा । लोगों मे एक-दूसरे से सुनकर “खोका डाक्टर” नाम चालू हो गया ।
साधन के कान में वात पड़ी तो दह जरा मी खफा न हुआ । उलटे विनय
सहित बोला : परेश्न काका के भागे तो में सोका ही हूँ। उनकी र्तिनी
जानकारी है ! मैं 'तो संचंमुच कल का बच्चा हूँ ।' ः
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