अर्द्ध - मागधी कोष भाग - 2 | Arddh - Magadhi Kosh Bhag - 2

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Arddh - Magadhi Kosh Bhag - 2 by मुनि श्री रत्नचन्द्रजी महाराज - Muni Shree Ratnachandraji Maharaj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मुनि श्री रत्नचन्द्रजी महाराज - Muni Shree Ratnachandraji Maharaj

Add Infomation AboutMuni Shree Ratnachandraji Maharaj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
काइक्जस | (४) [ आल & डिऐ 61 14110. व. 6. 80% प्रदश करने. योग्य. शी तए+तित 60 पेप्प्8. सम ३१ प्र० व० १०४; - मास 0०९60 07. दधए610,. नाया० ११५ पु० (-मास ) 34 मास; 3० टिवसतें जन पे० कप्प० ३, 3.६; केस गंज १, ६० भा, सौरमास; ३०॥ दिन क' माह. « |. १५ ९, २३; ध १; (रे) स्लतुं बचने 8010 . 00011; द. करता] 0 809 |. , आड--अाशु उस ये।म्य है।थ पते. वह पेफ8, प्रव० ६०४; -संवच्छर. व्याक, जिस का वचन श्राह्य हों, (0716 पुं० ( संवस्सर ) से परेलेथी छेने भथ्ति जा])080. फणाफ घाक प्णानिंप ४ एव बता परी पहुंचे मांडवे साजि ता सुने 8006 कद 106, ग्छा ० ६ घ; समय; नजुसे। छास दिपस अगाजु सार पर इट्ठ न« ( झादिष्ट ) प्रेस इस्पी; स्ेश सूम के पहले मंडल से श्राम्तिम मरडल में जाने श्रोर वहां से लेट कर फिंद प!हल्े मंडल में '्रान तक जितमा समय लग उतना समय: तीनसा छांसठ दिन प्रमाण वर्ष, १.16. 50018. 6810 हता का छत (१1818. इरवे। ते. प्रेरणा करना; आंदेश करना. विनडनिाए पिला; काएक०वि00, सूय+ न १, ४, १, १६३ विश इंद ६ शाइट्र, थिर ( आधिष्ट ) तनेशऐ।, केश था वाला, 0586 8860 कफ; विज हि, फू 0 ति (पक; चिप घाव. ठप 80 ल * जक्खा एसेशी भाइदे समाशी” मग« १८, | | एक घा8 बुुतकगाा: #ह0पॉपिछा ए ७; ठा० ४; दसा० 8, १५; झोघ ० दिल अर 3; पा8 पता ।9पा0ते ५ि।8 80411, जन्प० सू० प० २: ाइश जस. पुं० ( श्रादित्ययशस्‌ ) शर्त न्य्पर्तीनि! स्माित्वयशा नाग चुन, पे पर राय भारती मतेडीक्ष। बचे सद मे दे।य. 5) मोक्ष भय, मुरत चक्रवर्ती का आदित्य- यशां नामक 'पुत्र, जिसने राज्य भोगकर झंत मं दुक्षा लो श्ार कम क्षय्कर मात मं गयी. उताध्नरध5द, दी।0 80. ० 1० | झादाईडय, चिन. ( अआत्मर्दिकधारमन एव छातकु80' उनका 16 कपाहते वि | क्रद्ििस्य ). सामनड, पाला; सातम- 01010 (11116 पड वा ला, वि ' शद्लिजलाणिय चाल. आत्मऋद्धि वाला; श्रास्म- सक्तिबाना टिएल्हननह छा निघ]-]( 81 ाइटिं. खान ( श्वादिष्टि है भा२९, 'घारणा; विचार. 110८ 60.107; 1060; जिएतें प(प011,. ठा० उ; ं श्ाइदिड. स्ली* ( श्वात्मद्धि / ात्मनडदधि; सात्मश[डिल, श्रात्मा की शाक्ति: छ0ए1- ं पल :अतपो: छुश्तपघा,; अ0घो-] एप 21 । सैस गे; दे दे, ५ रे९, | । । हा 42२5, कातत रिहा (1885 (7 उप्पो-प6त 1, ” साइड एया भेते ! दव जाबर चतारी पंच देब्नावास तराई' भग ० १० पे; कपए ते हा दिया ता ऐप त 1४173. ठीन के, पे; झाइआ. खी ( आदित्या ) सुनी ६9 णथ नदिपी, सूमे का दूसरी पट़शानी . | ! 6 दर विक0019. [मा फराकुषा बुध. 0 .]16 पा. मग८न १०. है. जि त्िन ( श्रादेश ) अप £२५। भय, इस. न० ( श्रजिन ) यम; सम, त्वसढा. धछीताएए 88116. राय० ६७५ निखा० १७, १५: कर मल व, रह: -पीवार, नल (-प्रावार )- थुभपुरू; ानडाना उप, पद जर बम्केंनयममप परम्परा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now