धरती अब भी घूम रही है | Dharati Ab Bhi Dhum Rahi Hai

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Dharati Ab Bhi Dhum Rahi Hai by विष्णु प्रभाकर - Vishnu Prabhakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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धरतो श्रब भो घूम रहो है ११ नीना की काया एकाएक पीली पड़ गई । श्रागनेय नेत्रों से कमल की श्रोर देखती हुई वह वहां से चली गई । उस हृष्टि से कमल सहम गया पर उसे श्रपने श्रपराघ का पता तब लगा जब वह हो चुकाथा । स्कूल जाते समय रास्ते में नीना ने इस श्रपराध के लिए कमल को खुब डांटा । इतना डांटा कि वह रो पड़ा । रो पड़ा तो उसे छाती से लगाकर खुद भी रोने लगी । इसी समय वहां से बहुत दूर एक सुसजित भवन में मुक्त भ्रट्रहास गज रहा था । छोटे जज श्राज विशेष प्रसन्न थे । उनकी छोटी पुत्री मनमोहिनी को कमीशन ने सांस्कृतिक विभाग में उप डायरेक्टर के पद के लिए छ्ुन लिया था । मित्र बधाई देने भ्राए हुए थे । उसी हष॑ का यह श्रट्वहास था । यद्यपि बाकायदा चाय-पार्टी का कोई प्रबन्ध नहीं था तो भी मेज़ पर श्रच्छी भीड़भाड़ थी । अंग्रेज लोग चाय पीते समय बोलना पसन्द नहीं करते थे पर भारतवासी क्या प्रब भी उनके गुलाम हैं ! वे लोग जोर-ज़ोर से बातें कर रहे थे । मनमोहिनी ने चाय बनाते हुए कहा, “मु तो बिल्कुल श्राशा नहीं थी पर सचिव साहब की कृपा को क्या कहूं''' ।' सचिव साहब बोले, “मेरी कृपा । श्रापको कोई 'न' तो कर दे ? श्रापकों प्रतिभा * ' ।' . डायरेक्टर कह उठे, हां, इनकी प्रतिभा ! सांस्कृतिक विभाग तो है ही नारी की प्रतिभा का क्षेत्र ।' सचिव साहब के नेत्र जसे विस्फारित हो श्राए । प्याले को ठक्‌ से मेज पर रखते हुए उन्होंने कहा, “क्या बात कही है श्रापने । संस्कृति श्रौर नारी दोनों एक ही हैं । नाव्य, नृत्य, संगीत श्रौर कविता ' ।' भर प्रचार ।' “ग्रे, नारी से श्रधिक प्रचार कर पाया है कोई !' इसी समय बेरे ने श्राकर सलाम भरुकाई । तार श्राया था । खोलने पर जाना--छोटे जज साहब के बड़े बेटे की नियुक्ति इन्कमटेक्स-श्राफीसर के पद पर हो गई है । उसे मद्रास जाना होगा । 'वया, क्या',--कहते हुए सब तार पर भपटे । हष श्रौर भी मुखर हो उठा । छोटे जज ने श्रट्रहास करते हुए भ्रपनी पत्नी से कहा, “देखा निमंल !




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