विज्ञान परिषद का मुख्यपत्र | Vigyan Parishad Ka Mukhyapatra

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Vigyan Parishad Ka Mukhyapatra by गोरख प्रसाद - Gorakh Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२० _ विज्ञान, सितम्बर १६४१ [ भाग ५४ कि तत्व दि व व वि िलललपीलजीजपलीनललिजफीजीजलिसनफििललिफििििलपिलीफ किलएलििििलफिसिनफयििििलिजिलिललिली सिलिलिििदील्ि्िनिीपपपनिललीसीलीफीलीसॉपिीलीलीीलीलीनीजीपीफीपीपीननललीलीललीफीफजफीनीलीलनलीनलनपीललीलीपपिलीली लकी मआीफफीवी पी सफल घं एमी लें कफिल पर नि पलीक की स्फीफरीसिकहंक द्वारा व्यवहारमें लाई गई किसी वस्तुपर पढ़ गई हो भ्रौर साधारण तौर पर दिखाई न देती हो, ऐसी छाप को प्रकट करने के लिये अपाउडर ( (.ा८फ एणत6ा ) और चुके हुए ग्रैफाइट ((जाघ फिट) की ग्रावश्यकता पड़ेगी, श्रेपाउडर दवाके काम श्ाता है श्र इसी नाम से दवाखाने में बिकता है । अब हम उंगलीकी छापों के बारेमें लिखेंगे । छापों का झध्ययन करनेसे पहले हमें उन्हें बनानेका अभ्यास होना चाहिये । थोड़ी सी' काली छापेकी स्याही , पक श्र बेलन से तख्ते पर स्याही की एस गा । लत बहुत पतली तह फेलादो । श्रभ्याससे मालूम हो जायगा कि कितनी स्याही लेनी चाहिये, यदि स्याही श्हुत है तो सादा कागज (सोख्ता नहीं) तखुते पर रखकर दो तीन बार बेलन व्बला देने से स्याही कम हो जायगी | छाप लेने से पहले यह भ्रच्छा होगा कि उंगली को पेट्रोल या स्पिरिट लगे कपड़ेसे साफ कर लिया जाय । छब उंगली के सिरेको तख्ते पर हलके से दबाशो और फिर उतने ही इलके से कागज पर दबाओ । कागज पास में तैयार रखना चाहिये । एक भन्छी, साफ छाप श्रानी चाहिये । छाप देखने में लम्बोतरी होगी । यह सादी छाप कहलाती है श्रौर इस केवल उंगलीके बीचका भाग भ्ाता है । पूरी छाप के लिये “घुमनी” छाप लेनी चाहिये, जिससे उंगली के पूरे सिररेमें स्याद्दी लग जाय, यहां तक कि उंगली फिर बैंड़ी हो जाय, पर इस समय इसका मुंह उलटी तरफ रहे । इस घुमाने की क्रिया को कागज पर दुद्ददाना चाहिये । इस बार छाप लम्बोतरी न होकर चौखूंटी भ्रायेगी श्रीर उंगलीका बहुत सा भाग छाप में श्राजायेगा । छाप लेनेगें उंगली कितनी जोरमे दबाई जाय ? यह झ्रम्यास की बात है, नौसिखिये श्रधिकतर ज्यादा जोर से दबाते हैं । इसलिये विशेषज्ञ झपने अभियुक्तों की उंगली, श्रपने दवाथथोंमें कर भर श 2 सा हा ग दी जग भ गा ही [रु 0! सा [ कद ड दि श पर ) फिर भ् 142 0 भय पकड़ कर स्वयं ही उसमें स्प्रा्टी लगाते भ्ौर छापते हैं । हम श्रपने पाठ्कोंको भी यही राय देंगे कि वे अपने मित्रों श्रार्दि की छाप लेते समय इसी रास्ते पर चलें । ाप देखेंगे कि श्रापको घुमनी छाप लेते समय 'ट्बुलके किनारे पर काम करना पड़ेगा, नहीं तो उगली' स्थिर नहीं रखी जा सकेगी । इसलिये छाप लेते समय कागज को मोड़कर स्त्रित् में दिखलाये गये तरीकेसे टेबुल के क्रिनारे पर रखना पड़ेगा | 2; मिस आपगदगे । हर ही गए) | ५.00) मी ि था 0९: रत 1 गा थी उंगलियों की छाप लेने थ्रौर अध्ययन करने के लिये इन सरल वस्तुओं की श्रावश्यकता है। हम उगली की छापों के पहचानने भर विभाग करनेके विषयमें पूर्ण रूप से नहीं जायेंगे, यद एक कठिन विषय है । परन्तु चार मुख्य विभार्गोका पहत्चानना सरल है शरीर यह देखने में कि कीन अधिक छीर कौन कम पाये जाते हैं, श्र शिक्ष- सिन्न मनुष्योमें वे किस प्रकार भिन्न होते हैं, बहुत मनोरप्न होता है । कुछ प्रकार बहुत ही कम पाये जाते हैं, श्रौर किसी दुलभ प्रकार की छाप मिलने पर जो श्रानन्द होता है बह किसी तितली इक्ठ़रा करने वाले के भ्रानन्द के बराबर होता है. जब कि




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