भारत की प्राचीन संस्कृति | Bharat Ki Pracheen Sankrati

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Bharat Ki Pracheen Sankrati by रामजी उपाध्याय - Ramji Upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दविदय-प्रदेदा ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सुदूर श्रतीतकी चातत हैं जब भारतवर्षके लोगोंने संस्कृतिके पथपर चलना प्रारंभ किया था । इसके पहले उनके बीच किसी कला झऔर विज्ञानकी प्रतिष्ठा नहीं हुई थी, वे न तो किसी घातुका उपयोग ही कर सकते थे श्रौर न वस्त्र ही बना सकते थे । वे भोजनकी झ्रावश्यकताकों वनके फलोंको तोड़कर अथवा पद्ु- पक्षियों या मछलियों को पकड़कर पूरा कर लेते थे । कुछ समय पश्चात्‌ उन्होंने साधन-रूपसें पत्थरके टुकड़ोंको श्रपनाया जिनसे वे फलोंको मार कर गिरा सकते थे या शिकार कर सकते थे । संस्कृतिका यहींसे सूचपात हुआ । पत्थरसे उनके अ्रस्त्र-शस्त्र बनने लगे । उस समय श्रस्त्र-शस्त्र बहुत साधारण होते थे । उनसे काम लेनेमें झक्तिकी विशेष श्रावश्यकता पड़ती थी । सभ्यताके विकासके इस कालको प्राचीन प्रस्तर-युग कहते हैं । प्राचीन पश्रस्तर-धुगके पश्चात्‌ नवीन प्रस्तर-युगका आरंभ हुआ । इस युगमें श्रस्त्र-शस्त्र पत्थरके ही बनते थे किन्तु वे पहलेके झस्त्र-शस्त्रोंसे सुघड़, सुन्दर श्रौर झ्धिक उपयोगी होते थे । इनको बनानेमें लोगोंने अधिक बुद्धि लगाई थी ्रौर किल्नचिन्मात्र कलाका भी परिचय दिया था । लोग मिट्टीकी वस्तुयें-- प्राय: बर्सन बनाकर श्रागमें पका लेते थे । इस युगकी संस्कृतिका प्रमाण तत्का- लीन समाधियोंमें मिलता है जिनमें वे दावको रखकर पत्थरसे ढक देते थे । इससे सिद्ध होता है कि उनमें पूर्वेजोंकि प्रति श्रद्धाके भाव अ्रंकूरित हो चुके थे । प्रस्तर-यूगके पश्चात्‌ क्रमश: ताँवे श्रौर लोहेका युग आया ।' श्राजकल लोहेका यूग है । भारतमें इस युगका श्रारंभ श्रायाकी वैदिक सभ्यताके समय लगभग २५०० ई० पू०में हुआ । इसके पहले ३२५० ई० पू०्से २७५० ई० पू० तक सिन्धु-सभ्यता उन्नतिके शिखरपर थी, किन्तु उस समय लोग लोहेका प्रयोग नहीं जानते थे । प्राचीन कालमें भ्रार्योकी वैदिक सभ्यताके श्रतिरिक्त श्रन्य जातियोंकी सभ्य- ताश्रोंका विकास हुआ था । इन जातियोंमें नेग्रिटी या निग्रोबटु, श्रास्ट्रिक श्रौर संसारके प्रायः सभी देवॉंमें सम्यताका विकास इसी क्रमसे हुआ हैं; किन्तु झ्न्य देशोंम ताँदेके युगके पइचात्‌ कॉसेका युग श्राता है यह युग भारतके बहुत थोड़े ही भागमें मिला हूँ । प्राय: सर्वत्र ताँवेके पइचातु लोहेका युग ही मिलता हैं 1 प्‌




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