हज़रत मुहम्मद और इसलाम | Hazrat Muhammad Aur Isalam
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
भारत के स्वाधीनता आंदोलन के अनेक पक्ष थे। हिंसा और अहिंसा के साथ कुछ लोग देश तथा विदेश में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जन जागरण भी कर रहे थे। अंग्रेज इन सबको अपने लिए खतरनाक मानते थे।
26 सितम्बर, 1886 को खतौली (जिला मुजफ्फरनगर, उ.प्र.) में सुंदरलाल नामक एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। खतौली में गंगा नहर के किनारे बिजली और सिंचाई विभाग के कर्मचारी रहते हैं। इनके पिता श्री तोताराम श्रीवास्तव उन दिनों वहां उच्च सरकारी पद पर थे। उनके परिवार में प्रायः सभी लोग अच्छी सरकारी नौकरियों में थे।
मुजफ्फरनगर से हाईस्कूल करने के बाद सुंदरलाल जी प्रयाग के प्रसिद्ध म्योर कालिज में पढ़ने गये। वहां क्रांतिकारियो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मां बाप की जायदाद में लड़कियों का कोई हिस्सा न रहता
था । बल्कि जब कोई झादमी मरता था तो उसकी और सब
मिलकीयत के साथ साथ उसकी बीवियां भी उसके वारिस
की मिलकीयत मानी जाती थीं । इस बुरे रिवाज के सबब
सौतेली माँओं के साथ शादी का उन दिनों अरबों में रिवाज
मौजूद था । एक अ्रादमी की एक साथ कई कई बीवियां और
एक रत के एक साथ कई कई मद ये दोनों रिवाज भी थे।
और इनकी तादाद की कोई रोक थाम न थी । शादी के तरह
तरह के रिवाज थे । ब्याह का बंन्धन धम का बन्धन न माना
जाता था । आदमी जब चाहे अपनी रत को तलाक़ दे सकता
या छोड़ सकता था । इस तरह छोड़ी हुई औरत किसी दूसरे
के साथ ब्याह कर सकती थी । एक झौरत उम्म खुरीजा का
ज़िक्र इन दिनों मिलता है जिसने एक दूसरे के बाद चालीस
ाद्मियों के साथ ब्याह किया । झाम बदचलनी को ये लोग
पने लिये एक घमण्ड की चीज समभते थे और अपनी बद्-
चलनियों का बेशर्मी के साथ खुले बखान करते थे ।
खजूर के द्रर्तों की अरब में कमी न. थी । इस लिये शराब
का रिवाज इतना बंढ़ा हुआ था कि बहुत शराब पीने से लोगों
की झ्रकसर मौर्तें हो जाती थीं। जुए और शराब का जोड़
है ही। कोई कोई अरब जुए में अपना सब कुछ द्वारने के
बाद श्पने जिस्म तक की बाज़ी लगा देते थे और अगर हार
जाते थे तो हमेशा के लिये जीतने वाले के ,गुलाम हो जाते थे ।
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