कला और संस्कृति | Kala Aur Sanskriti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.96 MB
कुल पष्ठ :
328
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३. वाल्सोकि
भारतवर्ष को पुण्यमूमि के लिए. सरड्पि वाल्मीकि का काव्य गंगा के पवित्र
जल की तर द्नेक लोकीयकारी मड़ज़ों का करनेवाला है । भारत के भौतिक रूप
को देववुग में प्रजापति ने रचकर तैयार किया । इसमें प्रथ्वी को 'घारणु करनेवाला
जहाँ एक द्लोर गिरिराज हिमालय हे, वहाँ दूसरी ओर द्रगाघ गाम्मीयवाले
समुद्र हू । इसके वक्नगस्थल पर गंगा अर यमुना की वारिं-घाराओ्रों के उज्ज्वल
हार है | मध्य में गहन दरुडकतन :का अगम्य विस्तार हैं । सवांह-सुन्दर इस
सूपरदेश मं श्रनेक रत्तों की समृद्धि, दिव्य अ्ोपधि-वनस्पतियों के भरडार शोर
उपयोगी पशुनपत्षियों की सम्पत्ति को विधाता ने चारों शोर से भरपूर करके
प्रस्तुत किया है । उसमें रहने योग्य मानव की जब हम कल्यना करने लगते हैं तो
हमें महर्षि वाल्मीकि का ध्यान आता है । उपयुक्त प्रकार से देवों से प्ूजी गई
पुणयभूमि में रहने योग्य देवकल्प मानव का निर्माण किसने किया ? इस देश में
मानव के मस्तक को ऊँचा रखनवाले हिमालय के समान उन्नत आ्ादशों की
स्थापना किसने की ? गम्भीर सागर के समान ज्रिकाल सें भी मर्यादाद्धों का
उछट्टन न करनेवाले पूर्ण पुरुप का निर्माण किसने किया? पुर्यसलिला भागीरथी के
समान सब लोगों से वन्दनीय चरित्र की कल्पना यहाँ कसके द्वारा हुई ? किसने
सबसे पहले जीवन के द्गम्य; दजात द्रडकतनन में चारित्य की सुलभ पंगडरिडियों
का निर्माण किया ? इन पश्नों के उत्तर के लिए; हमें महूर्पि वाल्मीकि की शरण में
जाना पढ़ता दै । वाल्मीकि हमारे राष्ट्रीय द्रादरशों के श्रादि विधाता हैं । धर्म श्रीर
सत्य रूपी महाइन्नों के जो श्मर बीज वाल्मीकि ने बोये वे दाज भी फूल फल
रहें हैं । रामायण के प्रारम्भ में ही महाकवि ने दढ़ता के साथ प्रश्न किया है
. चारित््येश च को युक्त ?”
पजीवन में चरित्र से यक्त कोन है” १ वाल्मीफिं का सम्पूर्ण टॉट्रिकास चचारन्र-
७
योग की जिज्ञासा दै । चरिब्रवान् व्यक्ति को टंढचे के लिए; दी श्रांदिकाव्य समायण्ण
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