कला और संस्कृति | Kala Aur Sanskriti

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Sanskriti by रामासरे कक्कड़

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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३. वाल्सोकि भारतवर्ष को पुण्यमूमि के लिए. सरड्पि वाल्मीकि का काव्य गंगा के पवित्र जल की तर द्नेक लोकीयकारी मड़ज़ों का करनेवाला है । भारत के भौतिक रूप को देववुग में प्रजापति ने रचकर तैयार किया । इसमें प्रथ्वी को 'घारणु करनेवाला जहाँ एक द्लोर गिरिराज हिमालय हे, वहाँ दूसरी ओर द्रगाघ गाम्मीयवाले समुद्र हू । इसके वक्नगस्थल पर गंगा अर यमुना की वारिं-घाराओ्रों के उज्ज्वल हार है | मध्य में गहन दरुडकतन :का अगम्य विस्तार हैं । सवांह-सुन्दर इस सूपरदेश मं श्रनेक रत्तों की समृद्धि, दिव्य अ्ोपधि-वनस्पतियों के भरडार शोर उपयोगी पशुनपत्षियों की सम्पत्ति को विधाता ने चारों शोर से भरपूर करके प्रस्तुत किया है । उसमें रहने योग्य मानव की जब हम कल्यना करने लगते हैं तो हमें महर्षि वाल्मीकि का ध्यान आता है । उपयुक्त प्रकार से देवों से प्ूजी गई पुणयभूमि में रहने योग्य देवकल्प मानव का निर्माण किसने किया ? इस देश में मानव के मस्तक को ऊँचा रखनवाले हिमालय के समान उन्नत आ्ादशों की स्थापना किसने की ? गम्भीर सागर के समान ज्रिकाल सें भी मर्यादाद्धों का उछट्टन न करनेवाले पूर्ण पुरुप का निर्माण किसने किया? पुर्यसलिला भागीरथी के समान सब लोगों से वन्दनीय चरित्र की कल्पना यहाँ कसके द्वारा हुई ? किसने सबसे पहले जीवन के द्गम्य; दजात द्रडकतनन में चारित्य की सुलभ पंगडरिडियों का निर्माण किया ? इन पश्नों के उत्तर के लिए; हमें महूर्पि वाल्मीकि की शरण में जाना पढ़ता दै । वाल्मीकि हमारे राष्ट्रीय द्रादरशों के श्रादि विधाता हैं । धर्म श्रीर सत्य रूपी महाइन्नों के जो श्मर बीज वाल्मीकि ने बोये वे दाज भी फूल फल रहें हैं । रामायण के प्रारम्भ में ही महाकवि ने दढ़ता के साथ प्रश्न किया है . चारित््येश च को युक्त ?” पजीवन में चरित्र से यक्त कोन है” १ वाल्मीफिं का सम्पूर्ण टॉट्रिकास चचारन्र- ७ योग की जिज्ञासा दै । चरिब्रवान्‌ व्यक्ति को टंढचे के लिए; दी श्रांदिकाव्य समायण्ण




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