काशी विद्यापीठ रजत जयन्ती | Kashi Vidyapith Rajat Jayanti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
100 MB
कुल पष्ठ :
586
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हमारा विद्यापीठ
रहे काल पर दृष्टि. हमारी
लगे मृत्युकी हमें न डीठ;
पुथ्वीकी ... प्राचीन. पुरीमे
निय नया. निज विद्यापीठ ॥
यहीं... पासकी.. गंगा-यमुना
सरस्वताका: संगम ठीव्त् ५
ज्ञान-तीथेमें.. यहीं. भक्तिका
और क्मका योग सटीक ।
चलें छोड़त छात्र हमारे
सब. चत्रोम अपनी लीक श
तर सदा 'शिवके प्रसाद के
बने. हमारे. पात्र प्रतीक ।
क्यों न हटेगा हार मान कर
रहे मोह क्तिना है टठीठ;
पुथ्वीकी... प्राचान. पुरीमें
नित्य नया निज. विद्यापीठ ।
-मेथिलीदचारण गुप्त
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