काशी विद्यापीठ रजत जयन्ती | Kashi Vidyapith Rajat Jayanti

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Kashi Vidyapith Rajat Jayanti by विश्वनाथ शर्मा - Vishwanath Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हमारा विद्यापीठ रहे काल पर दृष्टि. हमारी लगे मृत्युकी हमें न डीठ; पुथ्वीकी ... प्राचीन. पुरीमे निय नया. निज विद्यापीठ ॥ यहीं... पासकी.. गंगा-यमुना सरस्वताका: संगम ठीव्त् ५ ज्ञान-तीथेमें.. यहीं. भक्तिका और क्मका योग सटीक । चलें छोड़त छात्र हमारे सब. चत्रोम अपनी लीक श तर सदा 'शिवके प्रसाद के बने. हमारे. पात्र प्रतीक । क्यों न हटेगा हार मान कर रहे मोह क्तिना है टठीठ; पुथ्वीकी... प्राचान. पुरीमें नित्य नया निज. विद्यापीठ । -मेथिलीदचारण गुप्त




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