सरल अलंकार भाग १ | Saral Alnkaar Bhag 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
215
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हू डूभ .
यहाँ दूसरी पक्ति में 'लिका? ये दो चरण तोन चार श्ाये हैं ।
'त: यहाँ 'लि क' इन दो वर्ण का दृत्त्यघुपास है ।
विशेष उदाहरण
(१) घहरती घिरती दुख की घटा
(२) छलकती मुख की छविपुंजता
छिटकती छिति पे तन की छटा
(३) बहु विनोदित थीं घ्रज-वालिका
तरुणियाँ सब थीं दण तोड़तीं
(४) सासु समर गुरु सुजन सहाई
सुत सुंदर सुसील सुखदाई
(५) विराजिता थी वन में विनोदिता
महान मेधाविनि माधवी लता
(६) विलोकते ही उसको बराह की
विल्ोप होती वर वीरता रही
(७) पग हित जिसके में नित्य ही हूँ विदाती
पुलकित पलकों के पॉबड़ प्यार द्वारा
(८) काले कुत्सित कीट का कुसुम में कोई नहीं काम था ।
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