सुभाष चन्द्र बोस व्यक्ति और विचार | Subhash Chandra Bos Vyakti Aur Vichar

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Subhash Chandra Bos Vyakti Aur Vichar by शिव प्रकाश - Shiv Prakash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इतिहास की दृष्टि 9 7. सम्यक्‌ स्मृति : लोभ, मोह, अदि चित्त के संतापों से बचना तथा श्रेष्ठ शिक्षाओं को याद रखना। 8. सम्यक्त समाधि : राग तथा द्वेष से रहित होकर चित्त की एकाग्रता को बनाए रखना। ड गौतम बुद्ध ने अतियों से बंचकर बीच के रास्ते पर जोर दिया। उन्होंने नैतिक आचरण के दस नियम (शील) निर्धारित किए। वे शील थे : 1. अहिंसा ब्रत का पालन करना। 2. सदा सत्य बोलना। 3. अस्तेय अर्थात्‌ चोरी न करना। 4. अपरिग्रह अर्थात्‌ वस्तुओं का संग्रह न करना। 5. ब्रह्मचर्य अर्थात्‌ इन्द्रियों पर संयम रखना। 6. नृत्य-गान का त्याग। 7. सुगंधित पदार्थों का त्याग 8. असमय में भोजन का त्याग। 9. कोमल शय्या का त्याग 10. कामिनी -कंचन का त््याग। गौतम बुद्ध ने वेदों की प्रामाणिकता का खंडन किया, ईश्वर और आत्मा के अस्तित्व के बारे मे कुछ कहने से इन्कार किया, कर्मवाद का प्रतिपादन किया, कार्य-करण संबंध की व्याख्या की, आत्मावलम्बन का पाठ पढ़ाया और संसार को परिवर्तनशील माना। चुद्ध ने जाति-व्यवस्था का विरोध किया और भिु संघों का संगठन लोकतंत्र के आधार पर किया। मौर्य वंश मौर्य वश भारत का पहला ऐतिहासिक राजवंश है जिसके वारे में प्रचुर ऐतिहासिक साध्य मिलता है। सौर्यकाल में समूचा भारत एक राजनीतिक सत्ता के अधीन आ गया। सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने यूनानी आक़रमणों को विफल. किया और अपने प्रधानमंत्री कौटिल्य की सहायता से सृदृढ़ राजनीतिक व्यवस्था की नींव रखी। कौटिल्यकृत भर्थशास्त्र राजनीति-विज्ञान का असाधारण ग्रंथ है और उसकी तुलना अस्स्तु के प्रालिटिक्स ग्रंथ से की जा सकती है। मौर्य शासन के बारे में यूनानी लेखकों ने भी बहुत्त कुछ लिखा है। मौर्य वंश के सम्राटों- सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य त्तथा सम्राद्‌ अशोक ने देश में राजनीतिक एकता स्थापित की। मालव, क्षुद्रक, लिच्छवी तथा कुछ अन्य कबीलों में




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