गीता का भक्तियोग | Geeta Ka Bhaktiyog
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
463
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| श्रीदरि ॥
प्राक्कथधन
पराकतनसद्न्ध. परत्रह्म. मराकति 1
स्ोन्दर्यसारसर्वर्स्स चन्दें सन्दात्मज मदर ॥
प्रपन्वपारिज्ञाताय .... तोत्तवेबरपाणये ।
न्ञानसुदाय कृप्णाय गीतासतदुददे नम ॥
वसुदवसते. देव. फंसचाणूरमर्दनम्।
'देबसीपरसानन्द क्ृप्ण घन्दे जगडुरुम ॥
चडीविभूपित कऊराझयनीर दाभाद,
पीताम्परादरणविस्पफलाधरोछात् ।
पूर्ण दुखुन्दरमुस्तादरविन्दनेनाव्
कृष्णात्पर किमपि सत््यमहद न जाने ॥
यावधचिर ज्ञनेमज. पुरुष जरन्तें
संचिन्तयामि निखिले जगति स्फूरन्तम्।
त्ताथदू चलात् स्फुरति हस्त इृदन्तरेमे
गोपस्य को5पिं शिशुर्जनपुज्मज्जुः ॥
श्रीमद्गयद्वीता एक अत्यन्त पिश्क्षण और अढौफिक प्रन्थ है |
चारो बेद्रोका सार उपनिपद्ू «४ और उपनिपर्दोका भी सार
श्रीमद्रगयड़ीता ६ ! यदद खय भी अ्रमर्विकता बर्गन होनेसे उपनिंपद्-
सरूप और श्रीमगयानफी याणी होनेसे बेद-खरूप है । इसमें
सय श्रीभगयानूने अपने प्रिय सखा अजुनकों अपने हृदयके यूढ़
भाय पिशेपरूपसे ये हैं |
जैंसे वेदोमें तीन याण्ट हैं--फर्मकाण्ट, उपासनाफाण्ड और
ज्ञानराण्ड, बैसे ही गीनामें मी तीन कार्ड हैं । गीताफा पढ़ला पटक
था
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