समय पाहुड़ | Samay Pahud
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
247
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एयत्त णिच्छयगदो समओ सव्वत्थ सुंदरो लोगे।
बंधकहा एयत्ते तेण विसंवादिणि होदि॥३॥
अन्बय -. एयत्त णिच्छयगदो समओ लोगे सव्वत्थ सुंदरो तेण एयत्ते
बंधकहा विसम्बादिणि होदि ।
अर्थ - अकेला निश्चयगत (यथार्थता को प्राप्त) समय लोक
में सर्वत्र सुन्दर (अविसंवादी) है। इसलिए एकत्व में
बंध को करने वाली कथनी विसंवादिनी होती है।
सुदपरिचिदाणुभूदा सव्वस्स वि कामभोगबंधकहा।
एयत्तस्सुबलंभो णवरि ण सुलभो विहत्तस्स॥ ४॥
अन्वय -. कासभोगबंधकहा सव्वस्स युदपरिचिदाणुभ्ूदा। णवरि
विहत्तस्स एयत्तस्सुवलंभो सुलभो ण1
अर्थ - काम-भोग और बंध (कर्म संचय) को करने वाली
कथा सर्व जीवों द्वारा सुनी, परिचय में और इन्द्रियों द्वारा
अनुभूति में आई है। केवल (पर-समय) विभक्त अकेले
समय की उपलब्धि सुलभ नहीं है।
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