जैन भजन रत्नावली | Jain Bhajan Ratnavali

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Jain Bhajan Ratnavali by महालचन्द वयेद- Mahalchand vayed

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७ ३) ११ इग्यागसे वोले गुगास्थान चौदाह १ पहिलो सिध्याती गुगास्थान । र दूजो सास्लादान समदष्टि शुगस्थान । ३ तौजो सिश्र गुगस्थान । ४ चौथी अब्रती मसमदष्टी शुगस्थान । ५ पांचसो देशव्रती शावक शुणस्थाने । ६ छट्टो प्रमादों साधु गुगस्थान । ७ सातवीं अप्रसादी साधु गुणस्थान । ८ आठवीं नियठ वादर गुगस्थाने । ८. नवसों अनियठ वादर रुणस्थान । १० दशवों सुन्म सप्राय गुणम्यान । ११ इग्यारमूं उपशान्ति सोह गुगास्थान । १९ वास्मूं चोणगमोहनौ गुणस्थान । १३ तेग्यू सयोगी केवली शुणस्थान । १४ चौदलू' अयोगी केवली शुगास्थान । १९ वारसे बॉल पाव इन्द्रियांकी तेवीस विषय श्रातइन्द्रौकी तीन विषय ः जौव शब्द १ अजोव शब्ट र सिंध शब्द ₹ चन्, इन्ट्रीकी पाच विषय कालो १ पौलो २ धालो 9 रातों थी लौलो धर चघ्नाण इस्ट्रीकी ठोव विषय




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