पशुवध सबसे बड़ा देशद्रोह | Pashuvadh Sabse Bada Deshdroh

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Pashuvadh Sabse Bada Deshdroh by इन्द्रलाल शास्त्री विद्यालंकार - Indralal Shastri Vidyalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ३ ) (रे ) उसी खून से चमड़े ऊपर रंग चढाया जाता है । जिसका कर उपयोग मनुज यह पाप कमाता जाता है । भारत में जब भंग्रेज न थे तब नहिं ऐसा होता था बाहर जाता चम नहदीं था, सृत का ही सब खपता था ॥। ( रे ) मंत्रों ने शौक लगाया भारत के इस फैशन का पशुधन कटवा कटवा करके खेल दिखाया निधेन का । ये चमड़े अमरीकादिक जा उनको मौज चखाते हैं भारत से घन खींच खींच कर सबके प्राण दुखाते हैं ॥। ० ) बदले में श्रंगार प्रसाधन की भाती है. सामग्री भूल गया सब भापा भारत चाल विदेशी सब पकरी । हुआ द्रिद्री पर भवबलंबी इस भारत का द्वाल बुरा चाहते थे होगा स्व॒राज्य तो सोख्य मिलेगा हमें जरा ॥। (३१) है स्वराज्य पर मिला सुराज्य न चौवेजी से बने दुबे छुव्बेजी बनने की भाशा में कष्ट सिंघु मभ पड़े डुबे । यंत्रों की है चली प्रणाली उससे सारी बरबादी पू'जीवाद पनपता जाता बेकारी को आजादी ॥




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