पन्चामृत | Panchamrit

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Panchamrit by बालशौरि रेड्डी - Balshori Reddy

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ स्थायी भाव बड़ी कुशलता से रसों में परिवर्तित होते हुए; दिखाई देते हैं । लोकोक्तियों श्रौर मुद्दावरों ने भाषा में प्राण डाल दिए हैं । कवि ने शब्दों की भरमार से बचने की कोशिश की है, जिससे भाव ठीक तरह उभर सके । इतना होते हुए भी भाषा में गजब का प्रभाव है । भाषा की प्राझलता श्रोर कल्पना की उड़ान देखने योग्य है । कवि ने श्रपनी निर्वचनोत्तर रामायण राजा मनुमसिद्धि को समर्पित की है, किन्तु मद्दाभारत जैसी प्रसिद्ध रचना नेल्लूर ग्राम के देवता हरिहरनाथदेव को श्रर्पित की गई है । इस घटना को लेकर कुछ लोगों ने यह अनुमान लगाया है कि जिस समय महामारत की स्चना समास हुई कवि तिवकन्ना श्रार राजा मनुमसिद्धि में श्नबन थी किन्तु यह भी हो सकता है कि कवि ने महाभारत जेसी श्रद्भुत रचना के लिए. उस शक्ति को चुना जो मनुमसिद्धि जैसे सहस्रों नरेशों पर शासन करती श्राई है तर करती रहेगी | तिक्कन्ना का लिखा इत्र “ कविवाक्यन्घ” नामक एक लक्षण ग्रन्थ भी मिलता है । इस ग्रन्थ का अन्तिम पद इस प्रकार है : केंद्पचमु । “तनरन्‌ गवि वाक्वेंघन मनुदंद॑ बचनि वेलय हषसु तो दि क्कन सोसयाजि '्वेप्पेनु जनुलेल्ल नुतिंप बुधुल सम्मति गागन्‌'” ॥ “गुरुजनों श्रीर विद्वानों की सम्मति तथा जनता की प्रशंसा के लिए तिकन्ना सोमयाजी ने हषेपूर्वक कवि वाक्यन्घ 'नामक लक्षण ग्रन्थ” की रचना की ।”” कुछ लोगों का विचार है, तिवकन्ना ने 'क्ृष्णशतक' श्रौर 'विजयसेन' नामक दो श्रौर ग्रत्थों की रचना भी की थी । भक्त पोतन्ना (१४०५-९४७०) अन्य प्राचीन कवियों श्र विद्वानों की तरह भक्त घम्मेर पोतन्ना के जन्म-स्थान तथा जन्म-तिथि के बारे में दो तीन मत प्रचलित हैं । जहाँ तक पोतन्ना के जन्म- संवत्‌ का प्रश्न है, श्रनेक ऐतिहासिक प्रमाणों से यह सिद्ध हो चुका है कि इनका जन्म सन्‌ १४०५ में हुआ था, किन्तु जन्म-स्थान के बारे में दो विचार सामने श्राते हैं । बम्मेर पोतन्ना ने श्रपनी स्वनाशओं में यह लिखा है कि वे एकशिला नगरी के निवासी हैं । आ्आन्त्र में एकशिला नगरी के नाम से दो नगयियां प्रसिद्ध हैं । कडपा जिले के ऑंटिमिट्टा राम का पुराना नाम एकशिला नगरी था । इसी तरह काकतीय




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