महावीर वर्धमान | Mahavir Vardhaman

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Mahavir Vardhaman by जगदीश चन्द्र जैन - Jagdish Chandra Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्र महावीर वर्धसान व्यवस्था के लिये, गणतंत्र राज्य के लिये प्रसिद्ध थे, भ्रौर इसीलिये बुद्ध ने भिक्षु-संघ के सामने लिच्छवि गणतंत्र को श्रादशं की तरह पेश किया था, तथा भिक्षु-संघ के छंद (वोट) देने तथा अन्य प्रबन्धों की व्यवस्था में लिच्छवि गणतंत्र का श्रनुकरण किया था । जेन शास्त्रों के भ्रनुसार चेटक वैशाली का बलझाली शासक था, जो काशी-कोदाल के नौ लिच्छवि आर मलत्ल राजाओं का अधिनायक था। चेटक श्रावक (जैनधमं का उपासक) था ग्रौर उस की सात कन्याये थीं । इन में से उस ने प्रभावती का विवाह वीतिभय के राजा उद्दायण के साथ, पद्मावती का कौशांबी के राम. हातानीक के साथ, दिवा का उज्जयिनी के राजा प्रययोत के साथ, ज्येष्ठा का क्‌ण्डग्रामीय महावीर के शभ्राता नन्दिवघ॑न के साथ, तथा चेलना का राजगृह के राजा श्रेणिक के साथ किया था; सुज्येष्ठा अविवाहिता थी शभ्रौर उसने दीक्षा ग्रहण कर ली थी । चेटक की बहन त्रिशला का विवाह कुण्डपुर के गण- राजा सिद्धाथें से हुआ था । चम्पा के राजा कूणिक भ्ौर चेटक के महायुद्ध का वर्णन जैन ग्रन्थों में आता हे जिस में लाखों योद्धाओं का रक्त बहाया गया था । बौद्धधर्म में भी वैशाली का बड़ा गौरव हँँ । यही बुद्ध ने स्त्रियों को भिक्षणी बनने का श्रधिकार दिया था श्रौर यही उन्हों ने श्रपना अन्तिम चौमासा व्यतीत किया था । महावीर के वैद्ाली में बारह चातुर्मास बिताये जाने का उल्लेख कल्पसूत्र में श्राता है । वज्जी देश के ासक लिच्छवियों के नौ गण थे। इन्ही का एक भेद था ज्ञात जिस में स्वनाम-घन्य वर्धमान का जन्म हुआ था । वैशाली में गंडकी (गंडक ) नदी बहती थी जिस के तट पर क्षत्रिय-कुण्डग्राम श्रौर ब्राह्मण- * प्राववयक चूणि २, पु० १६४ इत्यादि । दिगंबर मान्यता के श्रनु- सार चेटक की पुत्रियों श्रादि के नाम जुदा हैं संभवत: बिहार में भूमिहारों की जयरिया जाति (राहुल सांकृत्याथन, पुरातत्व निबंधावलि, प्‌० १०७-११४)




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