प्राकृत साहित्य का इतिहास | Prakrit Sahity Ka Itihas

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Prakrit Sahity Ka Itihas by जगदीश चन्द्र जैन - Jagdish Chandra Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( * ) वेराग्यशतक २४३ | आगम साहित्य में कथायें ३५४ ' वेराग्यरसायनप्रकरण २४४ | आगमो को व्यास्याओं व्याख्याओं में कथाएं ३५८ पै कारं २५८. व्यवहारशुद्धिप्रकाश ” | कथाओं के रूप २६० परिपारीचतुदेशकम्‌ । ” | सैन ज्ञेलको.का नूतन दृष्टिकोण ३६३ (च) प्रकरण-अन्थ._ ३४४-३४६ । त्रेमाख्यान ३६४ जीवविचा रप्रकरण ३४५ | विविध वर्णन ३६६ नवतत्त्वगाथाप्रकरण ” | सामान्य जीवन का चित्रण ३६७ दण्डकृप्रकरण ३४६ मंत्रशात्र ३६८ लघुसंघयणी ” | जेन मान्यतां ३७० बृहत्संग्रहणी ” : कथा-अन्यों की भाषा '३७२ इदत्तेतरसमास ” | आन्न कथा-साहित्य का नव्यबृहत्केत्रसमास २५७ | सुद्ध `` ` ३५३ लघुक्षेत्रसमास ”» | संस्कृत में कथा-साहित्य ३७४ श्रीचन्द्रीयसंग्रहणी | अपभ्रशकाल २७५ ^समयसारमरकरण £ | तरंगवईकटहा २७६ घोडशकप्रकरण » | तरंगलोला ३७७ पंचाशकप्रकरण २४८ | वसुदैवदिण्डी ३८१ नवपदप्रकरण “ | समराइचर्कदा २९४ सप्ततिशतस्थानभ्रकरण = धुत्तक्ाण ४१२ अन्य प्रकरण-मन्थ । कुबलूयमाला ४१६ (छ) सामाचारी ३५० | मूलु्धिभकरण रत (ज) विधिविधान २३५९-२३५२ कथाकॉपषप्रकरण 99 विधिमागंभ्रपा २५१ | निर्वाणलीकावतीकथा ४४० (म) तीथसम्बन्धी ३५३-३५५ | णाणप॑चमीकहा ह विविधतीयकल्प ह ২4২ | आड्यानमणिकोश ४४४ (অ) पद्टावलियां ३५५ | कहारयणकोस ४४८ (2) प्रबन्ध + कालिकायरियकहाणय ४५५ छटा अध्याय 4 ১, नम्मयासुन्द रीकहा ४५९ प्राकृत कथा-साहित्य ( ईस वी से कुमारवालपडिंबोह ४६३ की चोथी शताब्दी से. १७ | पाइअकदासंगह ४७२ शताब्दी तक ) ३५६-५२४ मलयसुदरीकहा নি कथाओं का महत्व ইহ. जिनदत्ताख्यान % ३ प्रा० भू०




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