पउमचरिउ | Paumchariu

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Paumchariu by ए० एन० उपाध्ये - A. N. Upadhyeyडॉ हीरालाल जैन - Dr. Hiralal Jain

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ए. एन. उपाध्याय - A. N. Upadhyay

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हीरालाल जैन - Heeralal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अनजुक्रम थ है भव तकके जन्मोंका वर्णन--इस प्रसंग राधि-भोजन त्यायका महत्त्व, णमोकार मन्त्रका अभाव, विभीषणके अनुरोधपर राजा चढिके जन्मान्तरोंका कथन । ः पचासीवीं सन्धि २३४-२७१ विभीषणके पूछनेपर सकलभूपण मुनि द्वारा लवण भर मंकुशके पूर्व भवोंका वर्णन, कृतान्तपत्रकी विरक्ति, उसकी दीक्षा ग्रहण कर लेता, राघवका घरके लिए प्रस्थान । सीताके अभावमें उनका दुखी होना, रामका अयोध्यामें प्रवेश, नागरिकोंकी अ्रतिक्रिया, लक्ष्मण हारा सीता देवोकी प्रदांसा । छयासीचीं सन्धि २५२-२७७ सीताको इन्द्रत्वकी उपलब्धि, राजा श्रेणिक ढारा पूछनेपर गीतम गणवर राम लक्ष्मण, उनकी माताएं सीतादेवी, लवण छंकुशके भावी जन्मोंका वर्णन करते हैं । लवण शोर अंछुशका कंचनरथ स्वयंवरमें जाता, उनके गलोंमें वरमाला पढ़ना स्वयंवरका वर्णन, लक्ष्मण पुत्रोंठे मुठभेड़की नौवत, लोगों द्वारा बीच बचाव, लवण भर भंकुशका जनता द्वारा स्वागत, लक्ष्मण पुग्नोंकी विरक्ति और दीक्षा, लक्ष्मणका मनुताप, भामण्डलका वैमव और दिनचर्या, विजली गिरनेंसे उसके प्रासादके लय भाग- का मिर पढ़ना, भामण्डलकी विरक्ति, जिनभगदानुकी स्तुति, निश्यामर उसका चिन्तन, प्रभातमें दीक्षा, हनुमान द्वारा दोकषा+ सत्तासीवीं सन्धि २७८-२९९, राम द्वारा हनुमानकी आलोचना, इत्द्कां रामकी विरसिदे लिए योजना बनाना, दो देवोंका भागमन, “रास मर गया. उनका यह




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