लकड़ी पर पॉलिश | Lakdi Ki Polish

Lakdi Ki Polish by गोरख प्रसाद - Gorakh Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खकद्ीका रंग बदलना ] १ कासके लिए भी प्रयुक्त दोता है । कुछ घुसये थागे दिये जावेंगे। फूल श्रौर काष्ठ '््रादि के फा्ों-से चने स्टेनॉंके यनाने में असुविधा होती है ओर उनमें जलनस्टेनोंकी धन्य असु- विधाएँ भी हैं । इनका रिवाज श्रव प्रायः उठ गया है । परन्तु भारतवर्षमें अब सी, विशेषकर देशातॉ्में; उनका प्रयोग सस्ता पढ सकता है । दृदी ( पीला ), भाँदला ( काला ), रतन-जोत ( गाढ़ा लाल ), खूनखरावा ( लाल ); किरमिज ( चटक लाल ), माजूफल ( काला ), कुसुम या बरें ( पीला ) इस कामके लिए इस्तेमाल सिये जा सकते हें । स्पिरिट-स्टेनमें विशेष युण यह होता है कि यह बहुत शीघ्र खूखता है । इनके प्रयोगसे एक दिन में हो पॉलिश का काम तैयार किया जा सकता है । मरम्मत्रके कार्मोमे भी इसी कारण ये दिशेष उपयोगी सिद्ध होते हैं । स्पिरिट्से लकड़ीका रेदा नहीं ठभड़ता। है, या चहुत कम उभद़ता हे । इसलिए रेगमालसे बहुत रगढ़ना नहीं पढ़ता । परन्तु वे लुकनी वाले रंग जो रिपरिटर्में घुकनशील होते हैं उतने पदके नद्दीं होते जितना पानीमें घुलनशील रंग । स्पिरिटका रंग लुफदीमें वहुत दूर तक घुस भी नहीं पाता है क्योंकि यदद बहुत जल्द सूखता है । इसी कारण स्पिरिट-स्टेनके लगानेमें झधिक हस्त-कौशल की सी झावश्यकता पढ़ती है ।




User Reviews

  • rakesh jain

    at 2020-11-28 15:50:09
    Rated : 7 out of 10 stars.
    category of the book should be technology/reference-books/self-help books.
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